ईरान के उन्नत मिसाइल सिस्टम ने इजराइल की राजधानी तेल-अवीव में स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला कर दिया है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है। दूतावास पर हुए इस अचानक और रणनीतिक हमले में बिल्डिंग का एक हिस्सा पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है। हालांकि राहत की बात यह रही कि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। यह हमला उस समय हुआ है जब अमेरिका, के बीच शांति स्थापित करने की कोशिशों में जुटा हुआ था। एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, ईरान लगातार इजराइल पर मिसाइल हमले तेज कर रहा है। इसी क्रम में एक मिसाइल अमेरिकी दूतावास को भी निशाना बनाते हुए जा पहुंची। अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी के मुताबिक, इस हमले में वाणिज्य दूतावास के कुछ हिस्से को नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी घायल या मृत नहीं हुआ है। हुकाबी ने आगे बताया कि, भले ही अब तक कोई हताहत नहीं हुआ हो, लेकिन एहतियात के तौर पर तेल अवीव और यरुशलम के अमेरिकी दूतावासों को पूरे दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
ईरान के निशाने पर अमेरिका क्यों आया?
- ईरान को शक है कि इजराइल द्वारा हो रहे हमलों के पीछे अमेरिका की रणनीतिक भूमिका है।
- अमेरिका ने भले ही सीधे तौर पर यह न कहा हो कि हमलों का आदेश उसी ने दिया है, लेकिन इरादे और हथियार उसके ही बताए जा रहे हैं।
- इजराइल जिन F-35 फाइटर जेट्स से हमला कर रहा है, वो अमेरिका की ही देन हैं।
ईरान अब अमेरिका पर हमला कर युद्ध को विस्तार देने और वैश्विक समर्थन जुटाने की रणनीति पर चल रहा है। माना जा रहा है कि अगर अमेरिका सीधे युद्ध में उतरता है तो उसे रूस और चीन जैसे देशों से सैन्य सहयोग मिल सकता है।
पहले भी हुए हमले
एक दिन पहले इराक में स्थित अमेरिकी सैन्य बेस पर सशस्त्र ड्रोन के जरिए हमला किया गया था, जिससे क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
इस हमले की जिम्मेदारी भले ही ईरान ने औपचारिक रूप से नहीं ली है, लेकिन ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों, जैसे कि कताइब हिज्बुल्ला और अल-नुजाबा ब्रिगेड, पर संकटपूर्ण संदेह व्यक्त किया गया है।
ग्लोबल इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने हाल ही में इन संगठनों को सक्रिय करने और सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए थे, जिससे यह हमला पूरी तरह से योजना का हिस्सा लगता है।
इससे पहले भी सीरिया और लेबनान में ईरानी समर्थन वाले संगठनों द्वारा अमेरिकी ठिकानों और सैनिक काफिलों पर हमले किए गए हैं, जिनका उद्देश्य अमेरिका पर सीधा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना रहा है।
ईरान ने दो दिन पहले एक आधिकारिक बयान में कहा था कि "हम न केवल इजराइल बल्कि उसके सभी सहयोगियों और सैन्य साझेदारों को भी जवाब देंगे।" इस बयान को वैश्विक मंच पर सीधे अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो देशों को दी गई चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह सब एक सुनियोजित रणनीतिक श्रृंखला का हिस्सा है, जिससे ईरान क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदलने की कोशिश कर रहा है और अमेरिका को एक खुले युद्ध में घसीटने की भूमिका निभा रहा है।
वहीं, अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी इन हमलों को गंभीरता से लेते हुए सभी मध्य-पूर्व बेस पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और स्ट्रैटेजिक बैकअप यूनिट्स को सक्रिय कर दिया गया है।
अमेरिकी अधिकारियों में डर का माहौल
ईरान-इजराइल के बीच छिड़े मिसाइल युद्ध से अमेरिकी अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। तेल अवीव में हुए हमले के दौरान राजदूत हुकाबी को 5 बार लोकेशन बदलनी पड़ी थी। हुकाबी ने बताया कि, “हम जहां भी जा रहे थे, वहां हमले का डर था। इसलिए हमें लगातार बंकर बदलते रहना पड़ा।”
ईरान और इजराइल की इस जंग में, तेल-अवीव को ही ईरान ने मुख्य निशाना बना रखा है।
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