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योग किसी पर थोपा नहीं जा रहा, यह सबकी जरूरत : स्वतंत्र देव सिंह

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सिद्धार्थ नगर, 21 जून . अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दुनियाभर में योग सत्र आयोजित किए गए. दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश में योग दिवस को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. दरअसल, मुस्लिम धर्मगुरु बद्रे आलम ने कहा है कि सरकार जानबूझकर योग को उनके समुदाय पर थोप रही है. इस पर यूपी सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि योग सभी के लिए है.

समाचार एजेंसी से बात करते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, “बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी को योग करना चाहिए. इसे पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है. योग ऋषि-मुनियों द्वारा बताया गया मार्ग है. नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरे विश्व में इसका प्रचार-प्रसार किया. संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे स्वीकार किया. दुनिया के 121 से ऊपर देशों में योग को अपनाया जा चुका है. गली-गली, गांव-गांव, विद्यालयों में लोग योग कर रहे हैं. इससे सभी स्वस्थ रहेंगे. योग शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से लोगों को स्वस्थ रखता है.”

उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के पद पर हैं. इस दौरान उन्होंने एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली. वह देश के लोगों की समृद्धि के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं. इतनी ऊर्जा उन्हें योग से ही मिलती है. प्रधानमंत्री ने खुद सभी देशवासियों से अपील की है कि वे अपने जीवन में योग को शामिल करें.

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी मौलाना बद्रे आलम की टिप्पणी पर जवाब दिया. उन्होंने कहा, “कुछ लोगों को आपत्ति जताने की आदत होती है या फिर वो बस मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. हालांकि, मैं दुनियाभर के उन सभी देशों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने योग को स्वीकार किया है.”

मौलाना बद्रे आलम की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राकेश त्रिपाठी ने कहा, “चाहे योग हो या सूर्य नमस्कार, ये कोई आध्यात्मिक या धार्मिक अनुष्ठान नहीं है. ये हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. दुर्भाग्य से कुछ लोग जानबूझकर कट्टर बने रहना और अंधविश्वास में फंसे रहना पसंद करते हैं. अपनी कठोर मानसिकता के कारण वो लोगों को योग से दूर रखने की कोशिश करते हैं, जो बीमारियों को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है.”

इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि जब नमाज अदा की जाती है तो उसमें भी सूर्य नमस्कार जैसी प्रक्रिया आती है. सूर्य देव के बिना कोई भी जीवन प्रक्रिया संभव नहीं है. सूर्य के महत्व को समझना चाहिए और उस पर विवाद नहीं होना चाहिए.

पीएके/एबीएम

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