गांधीनगर, 27 मई . गुजरात दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर पहुंचे. यहां उन्होंने ‘गुजरात शहरी विकास योजना’ के 20वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया. प्रदेश को करोड़ों की सौगात दी और एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने के लिए सेना के शौर्य की प्रशंसा की. उन्होंने आजादी के समय हुई गल्तियों का भी जिक्र किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं दो दिन से गुजरात में हूं. कल वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज गांधीनगर में हूं. मैं जहां-जहां गया, वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है. ये दृश्य सिर्फ गुजरात में नहीं हैं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में हैं, हर हिंदुस्तानी के दिल में हैं.”
पीएम मोदी ने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा, “जब भी पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, तीनों बार भारतीय सशस्त्र बलों ने उन्हें निर्णायक रूप से हराया. यह महसूस करते हुए कि वह प्रत्यक्ष युद्ध नहीं जीत सकता, पाकिस्तान ने छद्म युद्ध का सहारा लिया. उसने आतंकवादियों को प्रशिक्षित करना और उन्हें भारत में भेजना शुरू कर दिया. इन प्रशिक्षित आतंकवादियों ने निर्दोष, निहत्थे नागरिकों, यात्रा करने वाले लोगों, होटलों में बैठे लोगों या पर्यटकों के रूप में आने वाले लोगों को निशाना बनाया.”
उन्होंने 1947 के दर्द को बयां किया. कहा, “1947 में मां भारती के टुकड़े हुए. कटनी चाहिए थी जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं. देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ. मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया. अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ की. उन्होंने कहा, “यह वीरों की भूमि है. अब तक जिसे हम छद्म युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिले, उसके बाद हम अब इसे छद्म युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते. कारण स्पष्ट है: जब मात्र 22 मिनट के भीतर नौ आतंकवादी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तो यह एक निर्णायक कार्रवाई थी. और इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके.”
उन्होंने कहा, “6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया. उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया. ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है, आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा.”
पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते. हम शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं. हम प्रगति भी करना चाहते हैं, ताकि हम विश्व के कल्याण में योगदान दे सकें. इसलिए हम समर्पण के साथ करोड़ों भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होकर काम कर रहे हैं. हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे थे. हम सभी का कल्याण चाहते थे और हमेशा जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे. लेकिन बदले में खून की नदियां बहा दी गईं. मैं नई पीढ़ी को बताना चाहता हूं कि इस देश को कैसे बर्बाद कर दिया गया. अगर आप 1960 की सिंधु जल संधि का विस्तार से अध्ययन करेंगे, तो आप चौंक जाएंगे. यह तय किया गया था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी. गाद निकालने का काम नहीं किया जाएगा. तलछट साफ करने के लिए बने निचले गेट बंद रहेंगे. दशकों तक, उन गेटों को कभी नहीं खोला गया. जिन जलाशयों को 100 प्रतिशत क्षमता तक भरना चाहिए था, वे अब केवल 2 प्रतिशत या 3 प्रतिशत तक ही सीमित रह गए हैं.”
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एफएम/केआर
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