गांधीनगर, 14 जुलाई . फ्रेंच फ्राइज दुनिया भर में लोकप्रिय एक ऐसा स्नैक्स है, जिसे बच्चों से लेकर बड़े तक सभी पसंद करते हैं. भारत, जो पहले फ्रेंच फ्राइज का आयात करता था, अब इसका भरपूर निर्यात कर रहा है. इतना ही नहीं, भारत अब प्रोसेस्ड आलू का भी बंपर उत्पादन करता है, जिससे फ्रेंच फ्राइज और वेफर्स जैसे क्रिस्पी-कुरकुरे स्नैक्स तैयार होते हैं. देश के प्रोसेस्ड आलू के निर्यात में गुजरात का भी महत्वपूर्ण योगदान है.
2004-05 में प्रोसेस्ड आलू का उत्पादन 1 लाख टन से भी कम था, जबकि बुवाई क्षेत्र केवल 4,000 हेक्टेयर के करीब था. सरकार के प्रोत्साहन के चलते गत दो दशकों में प्रोसेस्ड आलू का उत्पादन 37,000 हेक्टेयर बुवाई क्षेत्र के साथ 11.50 लाख टन तक पहुंच गया है, जो 10 गुना वृद्धि को दर्शाता है. आज गुजरात प्रोसेस्ड आलू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है.
इसके साथ ही, यह फ्रेंच फ्राइज और वेफर्स का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर भी उभरा है. प्रोसेस्ड आलू के उत्पादन के मामले में गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्य क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को सशक्त बनाने के लिए मूल्य वर्धित कृषि उत्पादों पर जोर दिया है. Chief Minister भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार की किसान-केंद्रित नीतियों और कृषि विभाग एवं गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के मजबूत समर्थन के साथ गुजरात ने प्रोसेसिंग-ग्रेड आलू की खेती में शानदार सफलता हासिल की है.
वर्ष 2024-25 में गुजरात में 48.59 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, जिसमें लगभग 25 फीसदी से अधिक प्रोसेस्ड आलू हैं, जबकि शेष कुफरी आलू है, जिसका उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जाता है. गुजरात के किसान जिस प्रोसेसिंग-ग्रेड आलू की खेती करते हैं, उसे फ्रेंच फ्राइज, चिप्स या फ्रोजन फूड बनाने वाले देश भर के प्रोसेस्ड फूड उद्योगों को बड़ी मात्रा में सप्लाई किया जाता है. प्रोसेस्ड आलू के कुल उत्पादन में से लगभग 60 फीसदी वेफर्स के लिए और लगभग 40 फीसदी फ्रेंच फ्राइज प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इसमें बनासकांठा, साबरकांठा और अरवल्ली जिले का प्रमुख योगदान है, जो भारत में फ्रेंच फ्राइज और वेफर्स की बढ़ती मांग को पूरा कर रहे हैं.
वर्ष 2024-25 में गुजरात के बनासकांठा, साबरकांठा और अरवल्ली में कुल 1.19 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की बुवाई की गई थी और प्रति हेक्टेयर 32.36 टन की औसत उत्पादकता के साथ कुल 38 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था.
आलू के उत्पादन के लिए मशहूर बनासकांठा जिले में 2022-23 में 53,548 हेक्टेयर बुवाई क्षेत्र में 15.79 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, यानी इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 29.5 टन रही. वर्ष 2023-24 में 30 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 52,089 हेक्टेयर क्षेत्र में 15.62 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था. 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 18.70 लाख टन तक पहुंच गया है, जो गुजरात के किसी भी जिले में आलू का सर्वाधिक उत्पादन है. इस अवधि में 61,016 हेक्टेयर बुवाई क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 30.65 टन दर्ज की गई.
बनासकांठा के बाद साबरकांठा और अरवल्ली जिलों में भी आलू का बंपर उत्पादन हुआ है. साबरकांठा में वर्ष 2024-25 में 37,999 हेक्टेयर क्षेत्र में 34.13 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 12.97 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ. वहीं, अरवल्ली जिले में आलू की खेती अन्य जिलों की तुलना में अभी कुछ वर्षों पहले ही शुरू हुई है, इसके बावजूद इस जिले ने राज्य के कुल आलू उत्पादन में उल्लेखनीय योगदान दिया है. वर्ष 2024-25 में अरवल्ली में 20,515 हेक्टेयर क्षेत्र में 34.05 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ 6.99 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ.
गुजरात का उत्तरी पट्टा अपनी उपजाऊ भूमि, अनुकूल जलवायु और अत्याधुनिक कृषि प्रणाली के कारण चिप-ग्रेड और फ्रेंच फ्राई-ग्रेड आलू के उत्पादन के लिए एक आदर्श स्थान बन गया है. यहां लेडी रोसेटा, कुफरी चिपसोना और सैंटाना जैसी किस्मों की खेती होती है, जिनमें शुष्क पदार्थ की मात्रा अधिक और चीनी की मात्रा कम होती है, जिससे ये कुरकुरे और सुनहरे फ्राइज बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं. ये आलू मैकडॉनाल्ड्स, बर्गर किंग और डोमिनोज जैसे फ्रोजन फूड प्रोसेसर्स और क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) को सप्लाई किए जाते हैं, विशेष रूप से मध्य पूर्व के देशों में इसका निर्यात किया जाता है.
बनासकांठा, साबरकांठा और अरवल्ली जिलों में अत्याधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो इस सप्लाई चेन को मजबूत समर्थन देती हैं.
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डीएससी/एबीएम
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