नई दिल्ली, 1 जून . स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का विकास होता है. ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखना जरूरी है. शलभासन एक ऐसा आसन है जो शरीर और मन दोनों को कई लाभ प्रदान करता है. यह साइटिका और पीठ के निचले हिस्से के दर्द को कम करने, जांघों और नितंबों में अतिरिक्त चर्बी को कम करने और फेफड़ों की कार्यक्षमता के साथ-साथ पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे अंततः संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है.
शलभासन से उदर के अंगों को भी लाभ पहुंचता है और पाचन को सहायता मिलती है. इसके अलावा, यह आसन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है. पीठ के निचले हिस्से में अधिक दर्द होने पर इसे सावधानी के साथ करना चाहिए.
शलभासन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं. अपने हाथों को आगे की ओर फैला दें, हथेलियां ऊपर की ओर और पैर सीधे हों. माथा या ठुड्डी जमीन को छू रही हो. गहरी सांस लें और शरीर को स्थिर करें. सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर उठाएं. पैरों को सीधा रखें और घुटनों को न मोड़ें. इसके साथ ही हाथों को भी ऊपर की ओर उठाना है. यह कुछ सुपरमैन पोज जैसा है.
इस स्थिति में 10-30 सेकेंड तक रुकें, सामान्य रूप से सांस लेते रहें. इसके बाद में धीरे-धीरे पैरों और छाती को जमीन पर लाएं और विश्राम करें.
शलभ आसन से लाभ: पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है. रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देता है. पाचन तंत्र और गुर्दे पर प्रभाव डालता है. तनाव और थकान को कम करता है.
इस आसन को करने के दौरान कुछ सावधानियां भी बरतनी जरूरी है. गर्भावस्था, हर्निया, या पीठ/गर्दन की चोट वाले लोग इसे न करें. उच्च रक्तचाप या हृदय रोगी इसे योग विशेषज्ञ की सलाह पर करें. आसन को धीरे-धीरे और शरीर की क्षमता के अनुसार करें. यदि आपको इसे करने में कठिनाई हो, तो शुरुआत में एक पैर को उठाकर अभ्यास करें (अर्ध शलभासन). ऐसे में योग प्रशिक्षक की सलाह लेना बेहतर होता है.
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एएसएच/एएस
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