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जब पैसे का लेन-देन नहीं हुआ तो मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कैसे बनता है: सुप्रिया श्रीनेत

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नई दिल्ली, 4 जुलाई . राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार को भी नेशनल हेराल्ड मामले की सुनवाई हुई. सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दावों को खारिज करते हुए कहा कि एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) से यंग इंडियन में संपत्ति का कोई मूवमेंट नहीं हुआ. किसी भी कांग्रेस नेता को कोई पैसा या संपत्ति नहीं मिली. फिर भी इसे मनी लॉन्ड्रिंग कहा जा रहा है. इस मामले में शनिवार को भी सुनवाई होगी.

कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आजाद भारत में इससे पहले इस तरह का राजनीतिक प्रतिशोध कभी नहीं देखा गया, जो इस बार देखने को मिल रहा है. बार-बार कहा गया है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं है. हमारे वरिष्ठ वकील ने अदालत में दो प्वाइंट रखे हैं. इसमें पहला प्वाइंट है कि यह बिल्कुल ही विचित्र केस है. मनी लॉन्ड्रिंग का केस ऐसे मामले में लगाया जा रहा है, जिसमें एक भी पैसे का लेन-देन नहीं हुआ. एक भी संपत्ति का ट्रांसफर नहीं हुआ है. जब पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ है तो इसे मनी लॉन्ड्रिंग कैसे कह सकते हैं?

श्रीनेत ने कहा कि दूसरा प्वाइंट यह है कि इस देश में हजारों-लाखों शिकायतें दर्ज की जाती हैं. पीएमएलए लॉ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि बिना एफआईआर या बिना ऑथराइज्ड ऑफिसर के ईडी के पास जांच करने का अधिकार नहीं है, लेकिन ईडी ने बिना किसी सीबीआई, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो या अन्य एजेंसियों की शिकायतों के इस मामले में चार्जशीट दाखिल की.

अभिषेक मनु सिंघवी ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 50 साल पहले कानून ने जो मान्यता दी थी, उसे अब मनी लॉन्ड्रिंग माना जा रहा है. यह एक ऐसा मामला है जिसमें कंपनी के बंद होने पर भी मनी लॉन्ड्रिंग की जाती है. मौजूदा कानून के मुताबिक, अगर कंपनी बंद हो जाती है तो उसकी संपत्ति सेक्शन 8 के तहत कंपनी के पास रहेगी, उसके शेयरधारकों के पास नहीं.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी कार्रवाई है जिसका अस्तित्व ही नहीं है जिसका अदालत को संज्ञान लेना है. ईडी की चार्जशीट का संज्ञान नहीं लिया जा सकता, क्योंकि न तो कोई एफआईआर है और न ही जांच के लिए जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा कोई शिकायत है. अभियोजन को शुरू करने के लिए दस्तावेज किसी ऐसे व्यक्ति से आना चाहिए जिसके पास इसका अधिकार हो.

सिंघवी ने कहा कि ईडी ने 2010 से 2021 तक कुछ नहीं किया और अब अचानक से जाग गया. आज भी उसने कुछ नहीं किया, बल्कि एक निजी शिकायत को उठाकर ले आया. राजनीतिक मामलों में इमोशनल बातें अक्सर कानून से आगे निकल जाती हैं. हर रोज हजारों शिकायतें दर्ज की जाती हैं. बीएएसएस के तहत मौखिक शिकायतें भी दर्ज की जा सकती हैं. अचानक एक दिन ईडी ने एक शिकायत को चुना, चार्जशीट दाखिल की और अदालत से संज्ञान लेने को कहा.

उन्होंने कहा कि ईडी ने अब तक एक भी ऐसा उदाहरण नहीं दिया है जहां उसने किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर मामले की जांच की हो. ईडी चुनिंदा रूप से शिकायत लेने के लिए नहीं है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और अभियोजन पक्ष की शिकायत इस बारे में चुप है.

डीकेपी/एएस/डीएससी

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