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ओबीसी वर्ग के हितों की जिस तरह से रक्षा करनी थी, वह मैं नहीं कर पाया : राहुल गांधी

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New Delhi , 25 जुलाई . Lok Sabha में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने Friday को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने ओबीसी वर्ग के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि उन्हें और कांग्रेस को जिस तरह से इस वर्ग के हितों की रक्षा करनी थी, वह कार्य उस प्रकार से नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि वह अब ओबीसी के मुद्दों को गहराई से समझते हैं और उनके हितों को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करेंगे.

राहुल गांधी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं 2004 से राजनीति में हूं और मुझे 21 साल हो गए. जब मैं पीछे देखता हूं और अपना आत्मविश्लेषण करता हूं, मैंने कहां-कहां सही काम किया और कहां कमी रही तो दो-तीन बड़े मुद्दे दिखाई देते हैं, जैसे जमीन अधिग्रहण बिल, मनरेगा, भोजन का अधिकार, ट्राइबल बिल, नियामगिरी की लड़ाई, ये सारे काम मैंने सही किए. जहां तक आदिवासियों, दलितों, महिलाओं के मुद्दे हैं, वहां मुझे अच्छे नंबर मिलने चाहिए. मैंने अच्छा काम किया.”

उन्होंने आगे कहा कि मैं थोड़ा पीछे की ओर देखता हूं तो एक बात बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देती है कि एक विषय पर मुझसे कमी रही. कांग्रेस पार्टी और मेरे काम में एक कमी रह गई, मुझे ओबीसी वर्ग की जिस तरह से रक्षा करनी थी, मैंने नहीं की. इसका कारण था कि मुझे ओबीसी के मुद्दे उस वक्त गहराई से नहीं समझ आए थे. मैं मंच से कहता हूं 10-15 साल पहले दलितों के सामने जो कठिनाइयां थीं, वो मुझे अच्छी तरह समझ आ गई थीं. उनके मुद्दे सामने हैं, वो आसानी से समझ आ जाते हैं, लेकिन ओबीसी की मुश्किलें छुपी रहती हैं. मुझे अगर आपके मुद्दों और परेशानियों के बारे में उस वक्त पता होता तो मैं उसी वक्त जातिगत जनगणना करवा देता. वो मेरी गलती है, जिसे मैं ठीक करने जा रहा हूं. हालांकि, ये एक तरह से अच्छा ही हुआ, क्योंकि अगर उस समय मैंने जातिगत जनगणना करवा दी होती, तो वो आज जैसी नहीं होती.

तेलंगाना जाति जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 21वीं सदी डेटा की है. तेलंगाना में सरकार के हाथ में जो डेटा आ गया है, उससे हम बता सकते हैं कि राज्य के सभी कॉरपोरेट्स और उनके मैनेजमेंट में कितने एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग हैं. हमारे पास डेटा है और उससे पता चलता है कि तेलंगाना में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के लोगों को लाखों-करोड़ों का पैकेज नहीं मिल रहा है. वहीं, अगर हम मनरेगा, गिग वर्कर की लिस्ट निकालें तो सभी लोग एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग से हैं.

‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश में दलित, पिछड़ा, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी कुल मिलाकर करीब 90 प्रतिशत है. लेकिन जब बजट बनने के बाद हलवा बांटा जा रहा था, तो वहां 90 प्रतिशत की आबादी का कोई नहीं था. देश की 90 प्रतिशत की आबादी ही प्रोडक्टिव फ़ोर्स है. हलवा बनाने वाले लोग आप हैं, लेकिन हलवा वो खा रहे हैं. हम ये नहीं कह रहे कि वो हलवा न खाएं, लेकिन कम से कम आपको भी तो मिले.

एसके/एएस

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