New Delhi, 21 सितंबर . माता दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं, जो हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि India के बाहर यानी विदेशों में भी देवी के कई शक्तिपीठ हैं, जिनमें बांग्लादेश में 7, नेपाल में 2, Pakistan में 1, श्रीलंका में 1 और तिब्बत में 1 शक्तिपीठ शामिल हैं.
मनसा शक्ति पीठ, तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील के किनारे स्थित है. यहां माता सती का दाहिना हाथ गिरा था और इसे दाक्षायनी रूप में पूजा जाता है. यह स्थल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहां श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं.
कोट्टरी शक्तिपीठ, Pakistan के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज नदी के तट पर स्थित है. यहां माता सती का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था. इस स्थान पर माता को कोट्टरी नाम से पूजा जाता है और यह स्थल Pakistanी हिंदू समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है.
नेपाल में दो शक्तिपीठ स्थित हैं. गण्डकी चंडी शक्तिपीठ पोखरा में गण्डकी नदी के किनारे मुक्तिनाथ मंदिर के पास है. माना जाता है कि यहां माता सती का मस्तक गिरा था और माता को गंडकी चंडी के रूप में पूजा जाता है. वहीं, काठमांडू के पास महाशिरा या गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में माता के दोनों घुटने गिरे थे. इसे महाशिरा स्वरूप में श्रद्धालु पूजते हैं.
श्रीलंका में इंद्राक्षी शक्तिपीठ जाफना के नैनातिवु द्वीप पर स्थित है, जहां माता सती की पायल गिरी थी. इस स्थान पर माता को इंद्राक्षी के रूप में पूजा जाता है और यह हिंदू श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थल है.
बांग्लादेश में सात शक्तिपीठ प्रसिद्ध हैं. मां भवानी शक्तिपीठ, बांग्लादेश के ही चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत के शिखर पर मां की दायीं भुजा गिरी थी, यहां मां सती को भवानी नाम से जाना जाता है.
सुनंदा शक्तिपीठ, मान्यताओं के अनुसार, बांग्लादेश के बरिसल के शिकारपुर में माता सती की नाक गिरी थी. यहां पर माता का सुनंदा रूप विराजमान है.
श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ, बांग्लादेश के सिलहट जिले में ही एक और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां माता सती का गला गिरा था. इस स्थान पर माता को महालक्ष्मी स्वरूप में पूजा जाता है और यहां हर समय भक्तों की भीड़ रहती है.
यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना जिले के यशोर क्षेत्र में स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि यहीं माता सती की बाईं हथेली गिरी थी. यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है.
अर्पण शक्तिपीठ या अपर्णा शक्तिपीठ बांग्लादेश के ही भवानीपुर गांव में है, यहां माता सती की बाएं पैर की पायल गिरी थी. जहां उनके अर्पण रूप की पूजा की जाती है.
देवी जयंती शक्तिपीठ बांग्लादेश के जयंतिया परगना में है. यहां मां सती की बाईं जांघ गिरी थी और यहां पर देवी जयंती नाम से विराजमान हैं.
माता सती का मुकुट बांग्लादेश के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोण ग्राम में गिरा था, जिसके कारण इस स्थान को किरीटेश्वरी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. यहां माता के विमला स्वरूप की पूजा की जाती है.
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पीआईएम/एबीएम
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