नई दिल्ली, 26 अक्टूबर . ब्रांडेड दवाओं की मनमानी कीमतों से आम लोगों को निजात दिलाने के लिए शुरू किए गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों का फायदा धरातल पर दिखने लगा है. दिल्ली के देवली रोड स्थित जन औषधि केंद्र के मालिक राजेश अग्रवाल ने को बताया कि यहां मिलने वाली जेनरिक दवाएं 90 प्रतिशत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती हैं.
राजेश अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर लोगों को सस्ती दवाओं का फायदा हो रहा है, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को. कई बुजुर्ग जो अपने बच्चों पर बोझ नहीं बनना चाहते थे, पहले एक दिन छोड़कर एक दिन दवा खाते थे. अब जेनरिक दवाएं सस्ते में मिलने के कारण वे रोज दवा खा पा रहे हैं.
राजेश अग्रवाल की दुकान देवली रोड पर एकलौता जन औषधि केंद्र है क्योंकि सरकार के नियम के मुताबिक एक इलाके में एक ही केंद्र हो सकता है. इससे उनकी कमाई भी अच्छी होती है.
उनकी दुकान पर मौजूद एक ग्राहक विकास यादव ने बताया कि वह डेढ़ साल से यहां से जेनरिक दवाएं खरीद रहे हैं. ब्रांडेड की तुलना में जेनरिक दवाएं 70 से 80 प्रतिशत सस्ती हैं और उनका फायदा भी ब्रांडेड जैसा ही है. उन्होंने कहा कि जेनरिक दवाओं को लेकर कुछ लोगों में भ्रांतियां हैं जिन पर लगाम लगाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री की बहुत अच्छी पहल है.
एक अन्य ग्राहक ने कहा कि वह दो साल से यहां से दवाएं ले रहे हैं. जेनरिक दवाएं सस्ती हैं और क्वालिटी में भी कोई फर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही इन केंद्रों का प्रचार भी हो ताकि लोगों को इसके बारे में पता चले.
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की शुरुआत नवंबर 2008 में की गई थी. वर्ष 2014 में इन केंद्रों की संख्या केवल 80 थी और अब देश के लगभग सभी जिलों को कवर करते हुए करीब 10,000 केंद्र हो गए हैं.
प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने 30 नवंबर 2023 को झारखंड के देवघर में एम्स में 10,000वें जन औषधि केंद्र का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया था. केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश भर में 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है.
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एकेजे/
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