New Delhi, 14 अगस्त . हिंदुस्तान 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहा है. नए स्वतंत्र भारतीय राष्ट्र का जन्म विभाजन के हिंसक दर्द के साथ हुआ, जिसने लाखों भारतीयों पर पीड़ा के स्थायी निशान छोड़े. 14 अगस्त का दिन उन्हीं लोगों के संघर्ष और बलिदान को समर्पित है. इसलिए ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर हर देशवासी विस्थापितों, बलिदानियों और अनाम पीड़ितों को नमन कर रहा है. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने 14 अगस्त की तारीख को एक ‘त्रासदी’ करार दिया.
उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने Thursday को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर 1947 में देश के विभाजन का दंश झेलने वाले लोगों को नमन किया. उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में 14 अगस्त मात्र एक तारीख नहीं, एक त्रासदी है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “15 अगस्त के ही दिन, संकीर्ण मजहबी कट्टरता और नफरत की नीतियों ने भारत माता को बांटने का षड्यंत्र रचा, जिसकी परिणति दंगों, निर्दोषों की हत्याओं और तड़पती मनुष्यता के रूप में सामने आई. भारत विभाजन की इस अमानवीय वेदना के अवसर पर हम उन सभी असंख्य विस्थापितों, बलिदानियों और अनाम पीड़ितों को हृदय की गहराइयों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, और यह संकल्प करते हैं कि वह पीड़ा फिर किसी पीढ़ी को न झेलनी पड़े. वह पीड़ा हमारी स्मृति है और हमारी सीख भी है.”
उत्तर प्रदेश के उपChief Minister केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा, “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, भारत के इतिहास की सबसे हृदयविदारक त्रासदी (देश का विभाजन), अनगिनत निर्दोषों के लिए हिंसा, पीड़ा और विस्थापन की भयानक स्मृति बनकर रह गया. यह दिवस उन सभी बलिदानियों और विस्थापितों को स्मरण करने का अवसर है, जिन्होंने उसमें अपना घर, परिजन, पहचान और भविष्य तक खो दिया.”
उत्तराखंड के Chief Minister पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर उन सभी दिवंगत आत्माओं को नमन है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस का परिचय दिया. सांप्रदायिक विभाजन की रेखा ने असंख्य परिवारों को उजाड़कर देश की आत्मा को आहत किया. अपने घर-आँगन, आजीविका और स्मृतियों से वंचित होकर लाखों परिवार विस्थापन की वेदना सहने को विवश हुए. यह घटना मात्र इतिहास का अंश नहीं बल्कि हमारी राष्ट्रीय चेतना में अंकित एक शाश्वत पीड़ा है.”
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डीसीएच/
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