आजकल मोबाइल ऐप्स और वेबसाइटों से पर्सनल लोन लेना बहुत आसान और जल्दी हो गया है। लेकिन जब लोन चुकाने की बारी आती है, तो कई लोग पैसे की कमी या दूसरी वजहों से किस्तें नहीं दे पाते। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या पर्सनल लोन न चुकाने पर जेल भी हो सकती है?
क्या पर्सनल लोन डिफॉल्ट करना अपराध है?भारतीय कानून के तहत, किसी भी पर्सनल लोन का डिफॉल्ट करना स्वतः आपराधिक मामला नहीं होता. इसे एक सिविल विवाद माना जाता है, न कि आपराधिक अपराध. इसका अर्थ यह है कि केवल EMI चुकाने में असफल रहने पर किसी को जेल नहीं भेजा जा सकता. हां, इससे आपकी क्रेडिट स्कोर (Credit Score) खराब हो सकता है और भविष्य में लोन लेना कठिन हो सकता है.
बैंक की प्रक्रिया और कानूनी कार्रवाईबैंक और NBFC (Non-Banking Financial Company) आमतौर पर डिफॉल्ट होने पर सबसे पहले नोटिस भेजते हैं. इसके बाद यदि लोनधारक प्रतिक्रिया नहीं देता, तो वे सिविल कोर्ट में वसूली के लिए मामला दायर कर सकते हैं. कोर्ट आदेश के तहत आपकी संपत्ति की जब्ती, वेतन से कटौती, या बैंक खातों को फ्रीज़ करने की कार्यवाही की जा सकती है.
किन मामलों में बनता है आपराधिक केस?हालांकि पर्सनल लोन डिफॉल्ट स्वयं में अपराध नहीं है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह आपराधिक मामला बन सकता है. उदाहरण के लिए:
RBI (Reserve Bank of India) द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करते हैं कि बैंक या लोन देने वाली संस्थाएं कर्जदारों के साथ अनुचित व्यवहार न करें. उन्हें नोटिस भेजना आवश्यक है और पुनर्भुगतान के लिए बातचीत का अवसर देना होता है. इसके अतिरिक्त, पुनर्गठन (Restructuring) की सुविधा भी दी जा सकती है जिससे ग्राहक आसान किश्तों में लोन चुका सकें.
डिजिटल लोन ऐप्स और बढ़ती चिंताएंहाल के वर्षों में कई अवैध Digital Loan Apps सामने आए हैं, जो ग्राहकों को भारी ब्याज दरों पर लोन देकर धमकियों और डराने-धमकाने की रणनीति अपनाते हैं. सरकार ने ऐसे ऐप्स के खिलाफ सख्त कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें सात साल तक की जेल और भारी जुर्माना शामिल है. यह कदम उपभोक्ताओं की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
यदि आप डिफॉल्ट की स्थिति में हैं तो क्या करें?अगर आप किसी कारणवश Personal Loan का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो सबसे पहले घबराएं नहीं. बैंक या NBFC से तुरंत संपर्क करें, अपनी स्थिति स्पष्ट करें और पुनर्भुगतान की सुविधा या पुनर्गठन का अनुरोध करें. अगर आप पारदर्शी और सहयोगी रहते हैं, तो बैंक भी समाधान खोजने के लिए इच्छुक रहते हैं. लेकिन जानबूझकर टालमटोल या गलत जानकारी देने से बचें, क्योंकि तब मामला कानूनी और आपराधिक रूप ले सकता है.
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