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सिर्फ 3 बाण चलाकर महाभारत युद्ध खत्म कर सकता था ये योद्धा, पर क्यों उसे रोक दिया श्रीकृष्ण ने?!

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Khatu Shyam ki Kahani : महाभारत युद्ध के कई सुने-अनसुने किस्‍से हैं, जो बेहद रोचक और अनसुलझे हैं. ऐसी ही एक कहानी आज जानते हैं. जब कुरुक्षेत्र के युद्ध की घोषणा हुई, तो हजारों-लाखों योद्धा युद्ध मैदान में आ जुटे. इसमें एक ऐसा महावीर पराक्रमी योद्धा भी शामिल था, जो सिर्फ 3 बाण चलाकर इस योद्धा को खत्‍म कर सकता था, लेकिन भगवान श्रीकृष्‍ण ने ऐसा नहीं होने दिया. महाभारत युद्ध हुआ, 18 दिन तक चला, लाखों लोग मारे गए और कौरव वंश का तो समूल नाश हो गया. आखिर क्‍यों भगवान श्रीकृष्‍ण ने इस योद्धा को अपना पराक्रम दिखाने का मौका नहीं दिया, जानिए वजह.

3 अभेद्य बाणों का मालिक था बर्बरीक
यह पराक्रमी योद्धा था, बर्बरीक. बर्बरीक भीम का पोता और घटोत्कच का पुत्र था. बर्बरीक बचपन से ही एक महान योद्धा था और कई महाशक्तियों का स्‍वामी था. बर्बरीक ने भगवान शिव को प्रसन्न करके तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे. जब महाभारत युद्ध शुरू हुआ तो बर्बरीक अपनी मां से आशीर्वाद लेकर युद्धक्षेत्र में पहुंच गए. जाने से पहले उसने मां को वचन दिया कि वह युद्ध में हारे हुए पक्ष का साथ देगा.

श्रीकृष्‍ण ने मांग लिया बर्बरीक का सिर
जाहिर है पांडवों के साथ स्‍वयं भगवान श्रीकृष्ण थे, ऐसे में कई अक्षौहिणी सेना होने के बाद भी कौरव ही कमजोर पड़ते. तब बर्बरीक का कौरवों का साथ देना अधर्म का साथ होता है. श्रीकृष्‍ण ऐसा नहीं चाहते थे इसलिए उन्‍होंने बर्बरीक की परीक्षा ली और फिर उसका शीश मांग लिया. बर्बरीक ने हंसते-हंसते अपना सिर काटकर भगवान श्रीकृष्‍ण को दे दिया.

खाटू श्‍याम के रूप में लिया अवतार
बर्बरीक के महान बलिदान से भगवान श्रीकृष्‍ण बेहद प्रसन्‍न हुए और उसे कलियुग में पूजे जाने का वरदान दिया. साथ ही उसे श्रीकृष्ण ने कलियुग में ‘श्याम’ नाम से पूजे जाने का वरदान दिया और यह भी कहा कि वह ‘हारे का सहारा’ कहलाएंगे. तब से ही खाटू श्‍याम को हारे का सहारा कहा जाता है और पूजा जाता है.

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