आचार्य श्री चणक के शिष्य रहे आचार्य चाणक्य की बताई और कही गई बातें हर किसी के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है. सदियों पहले आचार्य चाणक्य ने कई ऐसी बातें बताई थी जो आज भी लोगों के बहुत काम आती है. चाणक्य ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि जीवन की हर परिस्थिति का बारीकी से अध्ययन किया है.
आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. आज भी उन्हें भारतीय इतिहास में प्रमुख स्थान प्राप्त है. आज की दुनिया के हिसाब से चाणक्य नीति में लिखे गए उनके विचार काफी हद तक सटीक साबित होते हैं. उन्होंने कई तरह की बातें बताई है और ऐसे ही उन्होंने बताया है कि किस तरह के व्यक्ति काले और जहरीले नाग से भी ज्यादा हानिकारक और खतरनाक होते हैं. चाणक्य नीति में चाणक्य ने इस तरह के लोगों से दूर रहने के लिए ही कहा है. जिससे कि सामने वाले व्यक्ति को कोई नुक्सान न हो. आइए जानते हैं कि चाणक्य ने किस तरह के लोगों से बचने की बात कही है.
आचार्य चाणक्य ने जीवन भर के अनुभव के आधार पर अपने कुछ विचार और नीतियों को चाणक्य नीति में लिखा. चाणक्य नीति की चर्चा दुनियाभर में होती है. अपने बुद्धि कौशल के दम पर एक साधारण से बालक को सम्राट के पद पर पहुँचाने वाले चाणक्य ने कहा है कि, ”काले मन वाला काले नाग से भी बुरा होता है.” उनके इस कथन का अर्थ है कि, जो व्यक्ति मन में मैल रखता हो, वह व्यक्ति काले और जहरीले सांप के बराबर है.
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में इस तरह के लोगों को काले मन का बताया है जो दोहरा व्यक्तित्व जीते हैं. दोहरा व्यक्तित्व अर्थात जो लोग मुंह पर कुछ और होते हैं और पीठ पीछे कुछ और होते हैं. ऐसे लोगों से हमेशा ही बचकर रहना चाहिए. इस तरह के लोगों को दूसरे लोगों से जलन भी होती है. ऐसे लोग कभी किसी की तरक्की से खुश नहीं होते हैं और जब कोई इनसे आगे निकलता है तो ये उनसे सहन नहीं हो पाता है और उन्हें नीचे गिराने की कोशिश में ये लग जाते हैं. इनका जीवन सफल नहीं होता है और ये जीवन में कुछ ख़ास हासिल भी नहीं कर पाते हैं.
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि काला नाग किसी पर तब ही वार करता है या किसी व्यक्ति को तब ही परेशान करता हो जब उसे कोई छेड़ता है. वहीं काले मन वाले व्यक्ति काले नाग से भी एक कदम आगे रहते हैं. इस तरह के व्यक्ति बगैर किसी कारण ही आपके जीवन को बर्बाद कर लेते हैं. ये लोग किसी के जीवन को बर्बाद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और इसमें नुकसान उनका खुद का ही रहता है.
जो लोग बहुत मीठी मीठी और चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं उनसे भी बचकर रहना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि कुछ लोग मुंह पर मीठा बोलते हैं वहीं पीठ पीछे ये कुछ और होते हैं. ये लोग दो लोगों को आपस में लड़ाने का काम करते हैं और एक दूसरे के प्रति उनके मन में जहर घोल देते हैं.
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