नई दिल्ली: भारतीय सेना की हर इंफ्रेंटी (पैदल सेना) बटालियन में अब अश्नि प्लाटून बन गई हैं। ‘अश्नि’ ड्रोन प्लाटून है और अश्नि का मतलब होता है बज्र, जिसे इंद्र देवता का हथियार माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना की हर ऑपरेशनल यूनिट में करीब 50 पर्सेंट सैनिक ड्रोन पर ट्रेंड हो चुके हैं और 2027 तक ऑपरेशनल यूनिट के हर सैनिक को ड्रोन की ट्रेनिंग मिल जाएगी।
सैनिकों को उनके रोल के हिसाब से ड्रोन की ट्रेनिंग दी जा रही है। जैसे निगरानी का जिम्मा संभालने वाले सैनिकों को सर्विलांस ड्रोन को ऑपरेट करना बताया जा रहा है, उसी तरह अटैक करने वाले ड्रोन के लिए भी ट्रेनिंग हो रही है। भारतीय सेना की हर कमांड और फॉर्मेशन का अपना ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाया गया है और उसी हिसाब से ट्रेनिंग हो रही है। यूनिट स्तर पर बेसिक ट्रेनिंग दी जा रही है और अडवांस ट्रेनिंग के लिए अलग अलग नोड बनाए गए हैं।
‘युद्ध कौशल 3.0’ एक्सरसाइज में पहली बार अश्नि प्लाटून ने लिया था हिस्सा
भारतीय सेना ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में ‘युद्ध कौशल 3.0’ एक्सरसाइज की थी। इसमें अश्नि प्लाटून ने पहली बार हिस्सा लिया। इन प्लाटून ने एक्सरसाइज के दौरान दिखाया कि कैसे नई तकनीक को पुराने जंग के अनुभवों के साथ जोड़कर मौजूदा और आने वाले युद्धों में बढ़त हासिल की जा सकती है।
भारतीय सेना में कितने प्रकार के ड्रोन्स हैं?
भारतीय सेना में पिछले तीन से चार सालों में कई अलग अलग तरह के ड्रोन शामिल हुए हैं। इसमें FPV ड्रोन, सर्विलांस कॉप्टर, नैनो ड्रोन, मिनी यूएवी, रिमोटली पायलेटेड एरियल वीइकल, टीथर्ड ड्रोन, लॉजिस्टिक ड्रोन, स्वॉर्म ड्रोन भी शामिल हैं। FPV ड्रोन का मतलब है फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन। इस तरह के ड्रोन का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन ने खूब किया।
FPV (फर्स्ट-पर्सन व्यू) ड्रोन लाइव इमेजेज़ को सीधे हेडसेट पर ट्रांसमिट करता है और यह हाई स्पीड वाला होता है। स्वॉर्म ड्रोन कई ड्रोन्स का एक ग्रुप होता है। इन्हें जमीन में बैठे सैनिक भी ऑपरेट कर सकते हैं या फिर यह ऑटोमोड में हो सकते हैं। कई ड्रोन्स के ग्रुप में एक मेन ड्रोन होता है जो बाकी सारे ड्रोन को उनका काम बांटता है।
सेना के एक अधिकारी ने कहा कि जब भी कोई विशेष उपकरण सेना में इंडक्ट किया जाता है तो उसकी ट्रेनिंग ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) देता है। इसके साथ ही संबंधित ट्रेनिंग स्कूल और फील्ड फॉर्मेशन में भी ट्रेनिंग के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जहां भी अप्लाई होता है वहां सभी संबंधित कोर्स के सैलेबस में ड्रोन ट्रेनिंग से जुड़े पहलुओं को शामिल किया गया है।
प्रत्येक सिपाही को ड्रोन ऑपरेट करने में दक्ष बनाना सेना का टारगेट
भारतीय सेना का टारगेट है कि सेना की हर शाखा के जवानों के लिए ड्रोन ऑपरेशन एक सामान्य क्षमता बन जाए। जैसे हर सैनिक अपने हथियार का इस्तेमाल करता है, वैसे ही वह ड्रोन चलाने में भी सक्षम होना चाहिए।
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