संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में मंगलवार को भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई. भारत ने कहा कि पाकिस्तान एक तरफ तो खैबर पख्तूनख्वा में “अपने ही लोगों पर बमबारी” कर रहा है और दूसरी तरफ इस अंतरराष्ट्रीय मंच का इस्तेमाल नई दिल्ली के खिलाफ “बेबुनियाद और भड़काऊ” आरोप लगाने के लिए कर रहा है.
मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में बोलते हुए, भारतीय राजनयिक क्षितिज त्यागी ने कहा कि इस्लामाबाद को अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने पर ध्यान देना चाहिए, जो “लाइफ सपोर्ट पर” है, और अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारना चाहिए, जो उत्पीड़न से दागी है.
भारत ने क्या कहा?
जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर, क्षितिज त्यागी ने कहा, “एक ऐसा देश जो मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ काम करता है, वो लगातार इस मंच का दुरुपयोग भारत के खिलाफ झूठे और भड़काऊ बयान देने के लिए कर रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “उन्हें हमारी ज़मीन पर नज़र रखने के बजाय, अपने अवैध कब्जे वाले भारतीय इलाके को खाली करना चाहिए. उन्हें अपनी डूबती अर्थव्यवस्था, सेना के दबदबे वाली राजनीति और उत्पीड़न से भरे मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए. शायद तब उन्हें आतंकवाद का निर्यात करने, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देने और अपने ही लोगों पर बमबारी करने से फुर्सत मिले.”
भारत के इस गुस्से की वजह क्या है?
भारत का यह कड़ा रुख उस घटना के ठीक एक दिन बाद आया जब पाकिस्तानी वायु सेना ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिरह घाटी के मत्रे दारा गांव में अपने ही लोगों पर बमबारी की. इस हमले में कम से कम 30 आम नागरिक मारे गए, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी वायु सेना ने चीन में बने J-17 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया. इन विमानों से रात के करीब 2 बजे, जब लोग सो रहे थे, गांव पर आठ चीनी-निर्मित LS-6 लेजर-गाइडेड बम गिराए गए.
पाकिस्तान में बढ़ता गुस्सा
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है, जो पहले से ही इलाके में बढ़ते आतंकी हमलों से परेशान हैं. पिछले हफ्ते ही, प्रांत के स्वात घाटी के मिंगोरा शहर में हजारों लोगों ने एक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से जल्द से जल्द शांति बहाल करने की मांग की गई थी.
खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान का एक दूरस्थ और पहाड़ी इलाका है, जो आतंकवादियों के ठिकानों से भरा हुआ है. यह एक ऐसा इलाका है जहाँ पाकिस्तानी सरकार अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रही है.
UNGA में उठा कश्मीर मुद्दा
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं सालाना बैठक में एक बार फिर भारत-पाकिस्तान और कश्मीर का मुद्दा उठा है.
तुर्किये के राष्ट्रपति अर्दोआन ने क्या कहा?
तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैय्यप अर्दोआन ने अपने भाषण में भारत और पाकिस्तान का जिक्र किया. जैसा कि हम जानते हैं, तुर्किये ज्यादातर मौकों पर पाकिस्तान का पक्ष लेता है. अर्दोआन ने कहा, “हम खुश हैं कि पिछले साल अप्रैल में भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव संघर्ष में बदल गया था, वो अब युद्धविराम में बदल चुका है.”
उन्होंने आगे कश्मीर पर बात करते हुए कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर और कश्मीर के भाई-बहनों के हितों को ध्यान में रखते हुए, बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा.”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी किया दावा
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने भाषण में भारत और पाकिस्तान का नाम लिया. उन्होंने दावा किया कि पिछले सात महीनों में उन्होंने लगभग सात ‘नामुमकिन’ युद्धों को खत्म कराया है.
उन्होंने इसी साल मई में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था. इस ऑपरेशन के बाद दोनों देशों में तनाव बहुत बढ़ गया था. ट्रंप ने इसी तनाव को भारत-पाकिस्तान युद्ध बताते हुए दावा किया कि उनकी वजह से ही सीजफायर हुआ और शांति बनी.
दुनिया भर के नेता पहुंचे अमेरिका
UNGA की यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है. भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर न्यूयॉर्क में मौजूद हैं. उनके अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जैसे कई बड़े नेता भी यहां पहुंचे हैं.
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