Raghuram Rajan: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने टैरिफ, ट्रेड डील और अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों पर खुलकर बयान दिया है. पूर्व आरबीआई गवर्नर ने H-1B वीजा विवाद से लेकर अमेरिका के प्रस्तावित HIRE एक्ट पर बात की. जाने मानी अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने अमेरिका के प्रस्तावित HIRE एक्ट को बड़ा खतरा बताते हुए भारत को इससे सावधान रहने की सलाह दी है. अमेरिकी मीडिया Dekoder के साथ इंटरव्यू के दौरान उन्होंने HIRE अधिनियम को H-1B वीजा से भी खतरनाक बताया. उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव भारत को लंबे समय के लिए झेलना पड़ सकता है.
भारत के लिए चेतावनी
रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिका का HIRE एक्ट भारत के सर्विस एक्सपोर्ट और ग्लोबल टैलेंट के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. उन्होंने कहा कि यह कानून भारत के सर्विस सेक्टर पर सर्विस लगा सकता है, जो लंबे समय तक भारत पर असर डाल सकता है. उन्होंने कहा कि एच-1बी वीजा फीस बढ़ने से भारतीयों को थोड़े समय के लिए परेशानी हुई, लेकिन अमेरिका का प्रस्तावित HIRE एक्ट भारत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. उन्होंने कहा भारत की चिंता वस्तुओं पर लगने वाली टैरिफ से नहीं बल्कि सर्विसेस पर लगने वाली टैरिफ संभावनाओं से है, जो सबसे बड़ा और वास्तविक खतरा है. बता दें कि अमेरिकी कांग्रेस में HIRE अधिनियम पर चर्चा चल रही है, जिसका मकसद आउटसोर्स सेवाओं पर टैरिफ लगाना है. ये कैसे लगेगा, इसे लेकर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है, लेकिन अगर इसे लागू कर दिया तो भारत की मुश्किल बढ़ सकती है. इस अधिनियम के जरिए सेवाओं और एच-1बी वीजा धारकों पर टैरिफ लगा सकता है. सोने में चीन ने खेल लिया बड़ा खेल, खत्म किया Tax छूट, गोल्ड की कीमतों पर पड़ेगा सीधा असर!
टैरिफ कितना तक भारत के लिए ठीक
रघुराम राजन ने कहा कि भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया, जो चीन के 47 फीसदी टैरिफ से भी ज्यादा है. उन्होंने कहा कि ये टैरिफ भारत के उद्योगों पर असर डाल रहे हैं, भारत को इसे कम कराने पर जोर देने की जरूरत है. भारत के लिए यह बेहद जरूरी है कि हमारे टैरिफ जल्दी कम किए जाएं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हमारे श्रम-प्रधान उद्योग हैं. उन्होंने कहा कि भारत के लिए 10-20% टैरिफ ही ठीक है. भारत को अपना टैरिफ कम करवाकर इसी दायरे में रखने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत पर बढ़ा टैरिफ भारतीय उद्योगों को प्रभावित कर रहा है.भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी स्थिति बचाने के लिए तेजी से टैरिफ कम कराने की ओर कदम उठाने चाहिए.
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