राजस्थान के महलों के साथ-साथ वहां के मंदिर भी कई रहस्यों से भरे हुए हैं। आज शीतलाअष्टमी के अवसर पर हम आपको शीतला माता मंदिर के कुछ अनोखे रहस्यों से अवगत कराते हैं।
दूध का भोग और चमत्कारी घड़ा
जब शीतला सप्तमी का पर्व आता है, तो एक विशेष घड़े से पत्थर हटाया जाता है। जैसे ही माता के चरणों से लगाकर इस घड़े में दूध का भोग डाला जाता है, यह घड़ा पूरी तरह से भर जाता है। इस घड़े पर कई शोध किए गए हैं, लेकिन इसका रहस्य अब तक अनसुलझा है।
असुरों की कहानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस चमत्कार के पीछे कई कहानियां हैं। कहा जाता है कि जब भी घड़े में पानी भरा जाता है, तो असुर उसे पी जाते हैं, जिससे घड़ा कभी नहीं भरता। यह घड़ा सदियों से मंदिर में है, लेकिन कभी भी पानी से भरा नहीं गया।
चमत्कारी घड़ा
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह घड़ा चमत्कारी है। इसमें कितना भी पानी डालें, यह कभी भी पूरा नहीं भरता। लेकिन जैसे ही इसमें दूध डाला जाता है, यह भर जाता है। यह घड़ा हमेशा ढका रहता है।
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर लगभग 8 सदी पुराना है और भक्तों में इसकी गहरी श्रद्धा है। यहां एक भूमिगत घड़ा है, जिसमें रखा हुआ पत्थर साल में केवल दो बार बाहर निकाला जाता है। इन अवसरों पर मंदिर में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
शीतला माता का मंदिर
जयपुर के पाली जिले में स्थित शीतला माता मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है। यह न केवल चमत्कारिक है, बल्कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के लिए माता के दरबार में माथा टेकने आते हैं।
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