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किराया नियमों में बदलाव: मकान मालिकों के लिए नई चुनौतियाँ

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किराया नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन

House Rent Rule

खराब खबर: हाल ही में केंद्र सरकार ने House Rent Rule में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य मकान मालिकों और किराएदारों के बीच संबंधों को अधिक पारदर्शी और कानूनी रूप से मजबूत बनाना है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 के दौरान इन नए नियमों का खुलासा किया। इन परिवर्तनों के तहत, अब मकान किराए से होने वाली आय को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा, जिससे मकान मालिकों के लिए किराया आय को दिखाना अनिवार्य हो जाएगा।

मकान मालिकों की नई जिम्मेदारियां

नए नियमों के अनुसार, मकान मालिकों को अपनी किराया आय को Income from House Property के तहत दिखाना होगा। यह कदम उन मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है जहां मकान मालिक अपनी आय छुपाकर टैक्स बचाते हैं।

सरल शब्दों में, यदि कोई व्यक्ति अपना मकान किराए पर देता है, तो उसे उस किराए से होने वाली आय को अपनी कुल वार्षिक आय में शामिल करना होगा और इस पर टैक्स का भुगतान करना होगा।

किराए की आय पर टैक्स का निर्धारण

अब मकान मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर टैक्स देना होगा। यह टैक्स Income from House Property के तहत लागू होगा। इसमें कुछ महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं:

  • प्रॉपर्टी की वैल्यू का आकलन: मकान मालिक अपनी संपत्ति की वैल्यू का आकलन कर सकते हैं और टैक्स की गणना कर सकते हैं।
  • 30% तक टैक्स डिडक्शन: सरकार ने प्रावधान किया है कि मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी की नेट वैल्यू का 30% तक टैक्स डिडक्शन ले सकते हैं।
  • रखरखाव खर्चों का दावा: मकान मालिक अपने किराए की संपत्ति पर होने वाले रखरखाव और मरम्मत के खर्चों का भी दावा कर सकते हैं।
  • नियमों का पालन सुनिश्चित करना

    सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि मकान मालिक किराया आय से संबंधित सभी जानकारियों को सही तरीके से प्रस्तुत करें। नियमों के तहत टैक्स न चुकाने या जानकारी छुपाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

    नए नियमों की प्रभावी तिथि

    केंद्रीय वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह नया कानून अप्रैल 2025 से लागू होगा। यह मकान मालिकों को अपने वित्तीय दस्तावेजों और आय की सही जानकारी दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय देगा।

    नियमों का उद्देश्य

    इन नियमों का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:

  • टैक्स चोरी पर रोकथाम: मकान मालिकों द्वारा अपनी आय छुपाने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण।
  • पारदर्शिता लाना: मकान मालिकों और सरकार के बीच पारदर्शी और कानूनी प्रणाली विकसित करना।
  • संपत्ति कर का सही आकलन: प्रॉपर्टी टैक्स का सही हिसाब लगाना ताकि सरकारी खजाने को नुकसान न हो।
  • यह बदलाव मकान मालिकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कदम है। जिन लोगों ने अब तक अपनी किराया आय को टैक्स से बाहर रखा था, उन्हें अब इसे दिखाने और टैक्स का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हालांकि, 30% तक की टैक्स डिडक्शन और अन्य छूटें मकान मालिकों को राहत प्रदान करेंगी।


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