महाभारत में द्रौपदी का जीवन
द्रौपदी के जन्म की कहानी
द्रौपदी के कर्ण से विवाह न करने के कारण
दुर्योधन का मित्र होना
कर्ण, दुर्योधन का करीबी मित्र था। द्रौपदी जानती थी कि दुर्योधन का मित्र कभी द्रोणाचार्य के वध में मदद नहीं करेगा।
सूतपुत्र की पहचान
कर्ण को समाज में ‘सूतपुत्र’ (सारथी का पुत्र) के रूप में जाना जाता था। यह कोई नहीं जानता था कि वह कुंती का पुत्र है।
श्रीकृष्ण की सलाह
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को कर्ण से विवाह करने से रोका, और द्रौपदी ने उनकी बात को कभी नजरअंदाज नहीं किया।
भगवान शिव से वरदान
पिछले जन्म में द्रौपदी ने भगवान शिव की तपस्या कर पांच गुणों वाले पति की कामना की थी —
द्रौपदी के पांच पतियों की कहानी
महाभारत में द्रौपदी का जीवन कई प्रश्नों और रहस्यों से भरा हुआ है। पांडवों से विवाह, चीरहरण की घटना, और श्रीकृष्ण का उद्धार — इन सबके बीच एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि द्रौपदी ने कर्ण से विवाह क्यों नहीं किया, जबकि कर्ण वीरता में अर्जुन के समकक्ष थे और कई मामलों में उनसे बेहतर भी थे।
द्रौपदी के जन्म की कहानी
राजा द्रुपद और द्रोणाचार्य के बीच की शत्रुता प्रसिद्ध थी। द्रोणाचार्य ने पांडवों की सहायता से द्रुपद को बंदी बना लिया था। इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए द्रुपद ने यज्ञ का आयोजन किया, जिससे दो संतानें उत्पन्न हुईं —
- धृष्टद्युम्न (पुत्र) — द्रोणाचार्य के वध के लिए
- द्रौपदी (पुत्री) — जिनके लिए ऐसे वर की तलाश थी, जो द्रोणाचार्य को हरा सके
द्रौपदी के कर्ण से विवाह न करने के कारण
कर्ण, दुर्योधन का करीबी मित्र था। द्रौपदी जानती थी कि दुर्योधन का मित्र कभी द्रोणाचार्य के वध में मदद नहीं करेगा।
कर्ण को समाज में ‘सूतपुत्र’ (सारथी का पुत्र) के रूप में जाना जाता था। यह कोई नहीं जानता था कि वह कुंती का पुत्र है।
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को कर्ण से विवाह करने से रोका, और द्रौपदी ने उनकी बात को कभी नजरअंदाज नहीं किया।
पिछले जन्म में द्रौपदी ने भगवान शिव की तपस्या कर पांच गुणों वाले पति की कामना की थी —
- धर्म का ज्ञाता
- गदाधारी
- धनुर्धर
- अश्वचिकित्सक
- भविष्य का जानकार
द्रौपदी के पांच पतियों की कहानी
जब अर्जुन ने स्वयंवर जीतकर द्रौपदी को घर लाया, तो कुंती ने अनजाने में कहा — "जो भी लाए हो, उसे आपस में बांट लो।"
इस प्रकार द्रौपदी के पांच पति बने —
- युधिष्ठिर — धर्म के ज्ञाता
- भीम — गदाधारी
- अर्जुन — धनुर्धर
- सहदेव — अश्वचिकित्सक
- नकुल — भविष्य का जानकार
ये सभी गुण भगवान शिव से मांगे गए वरदान के अनुरूप थे।
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