चांदी की कीमतों पर लगेगा ब्रेक!
भारत में पिछले चार महीनों से चांदी की कीमतों में जो उछाल आया है, उसने सभी को चौंका दिया है। त्योहारी सीजन, विशेषकर धनतेरस और दिवाली की खरीदारी ने इस वृद्धि को और बढ़ावा दिया है। पिछले साल धनतेरस पर 10 ग्राम चांदी का सिक्का लगभग 1,100 रुपये में मिल रहा था, जबकि इस साल इसकी कीमत 1,950 रुपये के करीब पहुंच गई है। इस तरह, एक साल में कीमतों में लगभग 98% की वृद्धि हुई है, जो सोने की कीमतों को भी पीछे छोड़ चुकी है।
हर कोई अब एक ही सवाल पूछ रहा है – क्या चांदी की कीमतें अब गिरेंगी? दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में चांदी की कीमत 1.89 लाख रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुकी है, जबकि चेन्नई में यह 2 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इस तेजी के पीछे वैश्विक कारण, औद्योगिक मांग और त्योहारी खरीदारी का मिश्रित प्रभाव है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह वृद्धि स्थायी होगी?
चांदी की कीमतों में वृद्धि के कारण क्यों आसमान पर पहुंची चांदी की कीमत?
चांदी की कीमतों में इस असाधारण वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, इसकी औद्योगिक मांग में भारी वृद्धि हुई है। इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर पैनलों और सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण में चांदी एक आवश्यक धातु है। जैसे-जैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी और टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है, चांदी की मांग भी बढ़ रही है। दूसरी ओर, मध्य-पूर्व और यूक्रेन में चल रहे तनाव के कारण निवेशकों ने इसे एक ‘सुरक्षित निवेश’ के रूप में देखा है। जब भी वैश्विक संकट बढ़ता है, निवेशक कीमती धातुओं में निवेश करते हैं, जिससे उनकी मांग और कीमत दोनों में वृद्धि होती है। इन वैश्विक कारणों के साथ जब भारत में त्योहारी और शादियों के सीजन की मांग जुड़ गई, तो कीमतों में तेजी आई।
त्योहारों के बाद राहत की उम्मीद त्योहारों के बाद क्या मिलेगी राहत?
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि इसका उत्तर ‘हां’ है, कम से कम कुछ समय के लिए। विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी की कीमतों में हालिया उछाल जरूरत से ज्यादा है और बाजार ‘ओवरबॉट’ की स्थिति में है। ऑगमोंट की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी के अनुसार, “दिवाली के बाद जब त्योहारी मांग का दबाव कम होगा, तो बाजार सामान्य स्थिति में लौट सकता है। हमें अगले हफ्ते से कीमतों में कुछ नरमी देखने को मिल सकती है।”
रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी भी इस बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि इतनी तेजी के बाद बाजार में एक तकनीकी सुधार या करेक्शन की संभावना है। यदि निवेशक मुनाफावसूली करते हैं, अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है या वैश्विक तनाव में कमी आती है, तो चांदी की कीमतों में 10 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
चांदी की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक कौन से फैक्टर गिरा सकते हैं चांदी का भाव?
त्योहारों के बाद मांग में कमी के अलावा कई ऐसे कारक हैं जो चांदी की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण प्रमुख उद्योगों की रफ्तार धीमी पड़ती है, तो चांदी की औद्योगिक मांग पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे कीमतें गिर सकती हैं। इसके अलावा, यदि उद्योग में चांदी का कोई सस्ता और बेहतर विकल्प मिल जाता है, तो इसकी मांग में कमी आ सकती है। अक्टूबर 2025 में सिल्वर ईटीएफ से लगभग 1.2 करोड़ औंस की निकासी हुई है, जो यह संकेत देती है कि निवेशक ऊंचे दामों पर अपना पैसा निकाल रहे हैं, और यह बाजार पर दबाव डाल सकता है।
चांदी का भविष्य तो क्या लंबी अवधि में चांदी फिर चमकेगी?
हालांकि छोटी अवधि में चांदी की कीमतों में गिरावट की संभावना है, लेकिन लंबी अवधि की तस्वीर अलग है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार चांदी की तेजी पहले के उछाल से अलग है, जो केवल सट्टेबाजी पर आधारित थी। मौजूदा तेजी की नींव टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी की वास्तविक मांग पर टिकी है। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2027 तक चांदी की कीमतें 2,46,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती हैं। इसका एक बड़ा कारण सप्लाई और डिमांड का बढ़ता अंतर है। खदानों से उत्पादन मांग के मुकाबले पिछड़ रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर चांदी की कमी बनी हुई है। इसलिए, दिवाली के बाद भले ही खरीदारों को थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन लंबी अवधि में चांदी एक आकर्षक निवेश बनी रह सकती है.
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