अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही बार-बार यह दावा कर रहे हों कि हमने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराया, लेकिन भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि दोनों देशों के रिश्तों में किसी तीसरे की कोई दखल मंजूर नहीं है।
द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा- '1970 के दशक से अब तक यानी 50 साल से ज्यादा हो गए हैं, भारत में इस बात पर एक मजबूत राष्ट्रीय सहमति है कि पाकिस्तान से जुड़े मामलों में हम किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।'
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या अमेरिका ने कोई भूमिका निभाई थी?
जब एस.जयशंकर से पूछा गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या अमेरिका ने कोई भूमिका निभाई थी, तो उन्होंने जवाब दिया - 'यह सच है कि उस समय फोन कॉल्स किए गए थे। अमेरिका ने कॉल किए और अन्य देशों ने भी। ये कोई राज नहीं है।' उन्होंने आगे कहा- 'जब ऐसी कोई स्थिति बनती है, तो देश एक-दूसरे को फोन करते हैं। जब इजरायल-ईरान या रूस-यूक्रेन का मामला हुआ, तो मैंने भी कॉल किए थे। यह एक परस्पर जुड़ी हुई दुनिया है और जिन देशों का अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का लंबा इतिहास होता है, वे ऐसा करते हैं।'
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि 'यह बात बिल्कुल अलग है कि कोई देश यह दावा करे कि उसने मध्यस्थता की, या यह कहे कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी समाधान हुआ, वह उनके बीच नहीं बल्कि किसी और की मदद से हुआ।'
कुछ घंटे पहले डोनाल्ड ट्रंप फिर से किया वही दावा
जयशंकर का यह बयान तब आया जब कुछ घंटे पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में 'Right About Everything' (हर बात में सही) लिखा हुआ कैप पहनकर एक बार फिर यह दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 'न्यूक्लियर वॉर' (परमाणु युद्ध) को उन्होंने रोका था। ट्रंप ने कहा - 'हमने भारत और पाकिस्तान के बीच एक संभावित परमाणु युद्ध को रोका। वह एक परमाणु युद्ध बनने ही वाला था।' हालांकि ट्रंप यह दावा बार-बार कर चुके हैं, लेकिन भारत ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सरकार ने साफ किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में भारी नुकसान उठाने के बाद पाकिस्तान ने खुद संघर्षविराम की अपील की थी।
भारत-अमेरिका के बीच नहीं बंद हुई ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत
जब अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद भारत-अमेरिका रिश्तों पर सवाल पूछा गया, तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 'ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है। हम दो बड़े देश हैं, बातचीत बंद नहीं हुई है। लोग आपस में बात कर रहे हैं, अब देखते हैं बात कहां तक जाती है।'
10 मई को ट्रंप ने पहली बाद संघर्ष विराम कराने का किया था दावा
ट्रंप ने पहली बार 10 मई को कहा था कि हमने ने भारत और पाकिस्तान के बीच 'पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम' पर सहमति बनवाई, वो भी एक तनावपूर्ण रात की बातचीत के बाद। तब से वे यह दावा 40 से ज्यादा बार दोहरा चुके हैं और कहते हैं कि उन्होंने इस टकराव को 'सुलझाने में मदद की'। लेकिन भारत का रुख बिल्कुल साफ है- यह संघर्षविराम दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे DGMO-स्तर की बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संसद में साफ कह चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर को रोकने में किसी विदेशी नेता की कोई भूमिका नहीं थी और यह फैसला पूरी तरह भारत का अपना निर्णय था।
द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा- '1970 के दशक से अब तक यानी 50 साल से ज्यादा हो गए हैं, भारत में इस बात पर एक मजबूत राष्ट्रीय सहमति है कि पाकिस्तान से जुड़े मामलों में हम किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।'
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या अमेरिका ने कोई भूमिका निभाई थी?
जब एस.जयशंकर से पूछा गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या अमेरिका ने कोई भूमिका निभाई थी, तो उन्होंने जवाब दिया - 'यह सच है कि उस समय फोन कॉल्स किए गए थे। अमेरिका ने कॉल किए और अन्य देशों ने भी। ये कोई राज नहीं है।' उन्होंने आगे कहा- 'जब ऐसी कोई स्थिति बनती है, तो देश एक-दूसरे को फोन करते हैं। जब इजरायल-ईरान या रूस-यूक्रेन का मामला हुआ, तो मैंने भी कॉल किए थे। यह एक परस्पर जुड़ी हुई दुनिया है और जिन देशों का अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का लंबा इतिहास होता है, वे ऐसा करते हैं।'
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि 'यह बात बिल्कुल अलग है कि कोई देश यह दावा करे कि उसने मध्यस्थता की, या यह कहे कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी समाधान हुआ, वह उनके बीच नहीं बल्कि किसी और की मदद से हुआ।'
कुछ घंटे पहले डोनाल्ड ट्रंप फिर से किया वही दावा
जयशंकर का यह बयान तब आया जब कुछ घंटे पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में 'Right About Everything' (हर बात में सही) लिखा हुआ कैप पहनकर एक बार फिर यह दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 'न्यूक्लियर वॉर' (परमाणु युद्ध) को उन्होंने रोका था। ट्रंप ने कहा - 'हमने भारत और पाकिस्तान के बीच एक संभावित परमाणु युद्ध को रोका। वह एक परमाणु युद्ध बनने ही वाला था।' हालांकि ट्रंप यह दावा बार-बार कर चुके हैं, लेकिन भारत ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सरकार ने साफ किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में भारी नुकसान उठाने के बाद पाकिस्तान ने खुद संघर्षविराम की अपील की थी।
भारत-अमेरिका के बीच नहीं बंद हुई ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत
जब अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद भारत-अमेरिका रिश्तों पर सवाल पूछा गया, तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 'ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है। हम दो बड़े देश हैं, बातचीत बंद नहीं हुई है। लोग आपस में बात कर रहे हैं, अब देखते हैं बात कहां तक जाती है।'
10 मई को ट्रंप ने पहली बाद संघर्ष विराम कराने का किया था दावा
ट्रंप ने पहली बार 10 मई को कहा था कि हमने ने भारत और पाकिस्तान के बीच 'पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम' पर सहमति बनवाई, वो भी एक तनावपूर्ण रात की बातचीत के बाद। तब से वे यह दावा 40 से ज्यादा बार दोहरा चुके हैं और कहते हैं कि उन्होंने इस टकराव को 'सुलझाने में मदद की'। लेकिन भारत का रुख बिल्कुल साफ है- यह संघर्षविराम दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे DGMO-स्तर की बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संसद में साफ कह चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर को रोकने में किसी विदेशी नेता की कोई भूमिका नहीं थी और यह फैसला पूरी तरह भारत का अपना निर्णय था।
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