भारत का एयरोस्पेस और डिफेंस मार्केट आने वाले वर्षों में बड़ा विस्तार देखने वाला है। ग्लोबल फाइनेंशियल फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की ओर से लगातार बढ़ती मंजूरियों ने देश के टोटल ऐड्रेसेबल मार्केट (TAM) यानी कुल संभावित बाजार को और मजबूत बना दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 23 अक्टूबर को डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने नौसेना, थलसेना और वायुसेना के लिए 79,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी। यह सरकार की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की लगातार प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
FY26 में अब तक 2.5 ट्रिलियन रुपये की मंजूरियां
Goldman Sachs की रिपोर्ट के मुताबिक, इन नई मंजूरियों के साथ ही वित्त वर्ष 2026 (FY26) में अब तक कुल Acceptance of Necessity (AoN) 2.5 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच चुका है। यह FY25 के 2.3 ट्रिलियन रुपये के मुकाबले ज्यादा है, जो दिखाता है कि सरकार का पूंजीगत खर्च तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंजूरियों में इस उछाल से देश के डिफेंस सेक्टर का TAM लगातार बढ़ रहा है, जिससे घरेलू रक्षा कंपनियों को अधिक विकास के अवसर और बिजनेस विजिबिलिटी मिल रही है।
नौसेना को सबसे बड़ा हिस्सा, लेकिन सभी को फायदागोल्डमैन सैक्स ने बताया कि इस बार ज्यादातर मंजूरियां भारतीय नौसेना की जरूरतों के लिए हैं। बड़ी राशि लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) जैसे उच्च तकनीकी प्रोजेक्ट्स पर खर्च की जाएगी।
हालांकि, इस वृद्धि का फायदा सिर्फ नौसेना तक सीमित नहीं रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे डिफेंस इकोसिस्टम, खासकर प्राइवेट सेक्टर कंपनियों को भी इसका लाभ मिलेगा। रिपोर्ट में लिखा है- “हम मानते हैं कि इस मंजूरी से घरेलू रक्षा उद्योग, विशेष रूप से निजी कंपनियों की कमाई की गति बरकरार रहेगी।”
डिफेंस निवेश में तेजी, पूंजी खर्च में बड़ा बदलावगोल्डमैन सैक्स ने यह भी बताया कि FY13-FY22 की तुलना में FY23 से AoNs के मूल्य में तेज वृद्धि देखने को मिली है। यह दिखाता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में अधिक कैपिटल एक्सपेंडिचर कर रहा है, और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defense Acquisition Procedure, DAP) 2020 के तहत, आमतौर पर किसी AoN के दो वर्षों के भीतर ऑर्डर जारी किए जाते हैं। इसका मतलब है कि आने वाले समय में पूंजीगत व्यय और ऑर्डरिंग गतिविधियां दोनों बढ़ने वाली हैं।
बढ़ेगा निवेश और ऑर्डर फ्लोGoldman Sachs का मानना है कि FY26 में अब तक 2.5 ट्रिलियन रुपये की मंजूरियों से यह साफ है कि रक्षा क्षेत्र में ऑर्डर फ्लो मजबूत रहेगा। इससे भारत की एयरोस्पेस और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बड़ा विस्तार और दीर्घकालिक ग्रोथ का संकेत मिलता है।
भारत का डिफेंस सेक्टर ग्रोथ ट्रैजेक्टरी परसरकार के बढ़ते रक्षा निवेश और नीति समर्थन के चलते भारत का डिफेंस सेक्टर अब सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया है। Goldman Sachs की रिपोर्ट बताती है कि घरेलू डिफेंस कंपनियों के लिए अगले कुछ सालों में राजस्व और मुनाफे में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
रिपोर्ट में बताया गया कि 23 अक्टूबर को डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने नौसेना, थलसेना और वायुसेना के लिए 79,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी। यह सरकार की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की लगातार प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
FY26 में अब तक 2.5 ट्रिलियन रुपये की मंजूरियां
Goldman Sachs की रिपोर्ट के मुताबिक, इन नई मंजूरियों के साथ ही वित्त वर्ष 2026 (FY26) में अब तक कुल Acceptance of Necessity (AoN) 2.5 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच चुका है। यह FY25 के 2.3 ट्रिलियन रुपये के मुकाबले ज्यादा है, जो दिखाता है कि सरकार का पूंजीगत खर्च तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंजूरियों में इस उछाल से देश के डिफेंस सेक्टर का TAM लगातार बढ़ रहा है, जिससे घरेलू रक्षा कंपनियों को अधिक विकास के अवसर और बिजनेस विजिबिलिटी मिल रही है।
नौसेना को सबसे बड़ा हिस्सा, लेकिन सभी को फायदागोल्डमैन सैक्स ने बताया कि इस बार ज्यादातर मंजूरियां भारतीय नौसेना की जरूरतों के लिए हैं। बड़ी राशि लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) जैसे उच्च तकनीकी प्रोजेक्ट्स पर खर्च की जाएगी।
हालांकि, इस वृद्धि का फायदा सिर्फ नौसेना तक सीमित नहीं रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे डिफेंस इकोसिस्टम, खासकर प्राइवेट सेक्टर कंपनियों को भी इसका लाभ मिलेगा। रिपोर्ट में लिखा है- “हम मानते हैं कि इस मंजूरी से घरेलू रक्षा उद्योग, विशेष रूप से निजी कंपनियों की कमाई की गति बरकरार रहेगी।”
डिफेंस निवेश में तेजी, पूंजी खर्च में बड़ा बदलावगोल्डमैन सैक्स ने यह भी बताया कि FY13-FY22 की तुलना में FY23 से AoNs के मूल्य में तेज वृद्धि देखने को मिली है। यह दिखाता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में अधिक कैपिटल एक्सपेंडिचर कर रहा है, और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defense Acquisition Procedure, DAP) 2020 के तहत, आमतौर पर किसी AoN के दो वर्षों के भीतर ऑर्डर जारी किए जाते हैं। इसका मतलब है कि आने वाले समय में पूंजीगत व्यय और ऑर्डरिंग गतिविधियां दोनों बढ़ने वाली हैं।
बढ़ेगा निवेश और ऑर्डर फ्लोGoldman Sachs का मानना है कि FY26 में अब तक 2.5 ट्रिलियन रुपये की मंजूरियों से यह साफ है कि रक्षा क्षेत्र में ऑर्डर फ्लो मजबूत रहेगा। इससे भारत की एयरोस्पेस और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बड़ा विस्तार और दीर्घकालिक ग्रोथ का संकेत मिलता है।
भारत का डिफेंस सेक्टर ग्रोथ ट्रैजेक्टरी परसरकार के बढ़ते रक्षा निवेश और नीति समर्थन के चलते भारत का डिफेंस सेक्टर अब सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया है। Goldman Sachs की रिपोर्ट बताती है कि घरेलू डिफेंस कंपनियों के लिए अगले कुछ सालों में राजस्व और मुनाफे में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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