3 नवंबर 2025 से यूपीआई से जुड़े नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं. ये बदलाव नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने किए हैं, जो भीम यूपीआई को मैनेज करता है. इन बदलावों का असर सीधे तौर पर बैंकों और आम ग्राहकों दोनों पर पड़ेगा.
क्यों किए जा रहे हैं बदलाव?यूपीआई पर हर महीने अरबों ट्रांजेक्शन होते हैं. अगस्त 2025 में ही 20 अरब से ज़्यादा लेन-देन हुए, जिनकी कुल वैल्यू करीब 24.85 ट्रिलियन रुपये रही. इतने बड़े पैमाने पर लेन-देन होने की वजह से सेटलमेंट में देरी होने लगी थी.
अभी तक सिस्टम में हर दिन 10 सेटलमेंट साइकिल होती थीं. इनमें सभी तरह के ट्रांजेक्शन सही पेमेंट और विवाद वाले पेमेंट (जैसे रिफंड या रिवर्सल) एक साथ प्रोसेस होते थे. नतीजा ये था कि कई बार सही पेमेंट भी विवाद वाले पेमेंट के साथ फंस जाते थे और बैंकों में एंट्री देर से दिखाई देती थी.
नया नियम क्या कहता है?एनपीसीआई ने अब ये तय किया है कि सही ट्रांजेक्शन और विवाद वाले ट्रांजेक्शन को अलग-अलग सेटलमेंट साइकिल में प्रोसेस किया जाएगा.
सही पेमेंट पहले की तरह नियमित साइकिल में ही प्रोसेस होंगे.
विवाद वाले पेमेंट के लिए अब केवल दो तय सेटलमेंट साइकिल होंगी. इसका मतलब अगर आपका पेमेंट फेल हो गया है या पैसे दो बार कट गए हैं, तो रिफंड इन्हीं दो साइकिल में प्रोसेस होगा.
इससे फायदा ये होगा कि सामान्य पेमेंट तेजी से निपटेंगे और रिफंड के मामले में ग्राहकों को ये पता होगा कि उनके पैसे कब वापस आएंगे.
किन चीजों में बदलाव नहीं होगा?कट-ऑफ टाइमिंग - रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की जो समय-सीमा पहले थी, वही बनी रहेगी.
रिपोर्टिंग सिस्टम - रिकॉन्सिलिएशन रिपोर्ट, जीएसटी रिपोर्ट और बाकी सेटलमेंट की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहेगी।
इसका मतलब बदलाव सिर्फ इस बात में है कि अब विवाद वाले ट्रांजेक्शन को अलग से प्रोसेस किया जाएगा.
आम लोगों पर क्या असर होगा?ज्यादातर ग्राहकों के लिए रोज़मर्रा का अनुभव वही रहेगा. दुकानों पर स्कैन करके पेमेंट करना या ऑनलाइन शॉपिंग के लिए यूपीआई इस्तेमाल करना पहले जैसा ही होगा. लेकिन फर्क ये पड़ेगा कि बैंकों में पेमेंट जल्दी दिखने लगेंगे.
रिफंड को लेकर समय-सीमा तय होगी. पहले लोगों को अंदाजा नहीं होता था कि उनका पैसा कब लौटेगा. अब चूंकि विवाद वाले ट्रांजेक्शन सिर्फ दो साइकिल में प्रोसेस होंगे, इसलिए यूजर्स को तय समय पर रिफंड मिलने की उम्मीद रहेगी.
अगर आपने पेमेंट किया और वो फेल हो गया, तो पहले रिफंड में 2-3 दिन लग जाते थे और कभी-कभी ग्राहक को लगातार बैंक से संपर्क करना पड़ता था.
डिजिटल इंडिया का बड़ा कदमभारत में यूपीआई की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. जिस तरह अगस्त में पहली बार एक महीने में 20 अरब ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए. वो इस बात का सबूत है कि भारत की जनता डिजिटल पेमेंट को बड़े पैमाने पर अपना चुकी है.
एनपीसीआई का ये फैसला न सिर्फ बैंकों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि ग्राहकों का भरोसा भी और मज़बूत करेगा.
3 नवंबर से होने वाले बदलाव यूपीआई को और भी तेज़, भरोसेमंद और पारदर्शी बनाएंगे. ग्राहकों के लिए रोज़मर्रा के लेन-देन पहले जैसे ही आसान रहेंगे, लेकिन बैंकों में पेमेंट जल्दी दिखेगा और रिफंड का इंतजार कम होगा.
क्यों किए जा रहे हैं बदलाव?यूपीआई पर हर महीने अरबों ट्रांजेक्शन होते हैं. अगस्त 2025 में ही 20 अरब से ज़्यादा लेन-देन हुए, जिनकी कुल वैल्यू करीब 24.85 ट्रिलियन रुपये रही. इतने बड़े पैमाने पर लेन-देन होने की वजह से सेटलमेंट में देरी होने लगी थी.
अभी तक सिस्टम में हर दिन 10 सेटलमेंट साइकिल होती थीं. इनमें सभी तरह के ट्रांजेक्शन सही पेमेंट और विवाद वाले पेमेंट (जैसे रिफंड या रिवर्सल) एक साथ प्रोसेस होते थे. नतीजा ये था कि कई बार सही पेमेंट भी विवाद वाले पेमेंट के साथ फंस जाते थे और बैंकों में एंट्री देर से दिखाई देती थी.
नया नियम क्या कहता है?एनपीसीआई ने अब ये तय किया है कि सही ट्रांजेक्शन और विवाद वाले ट्रांजेक्शन को अलग-अलग सेटलमेंट साइकिल में प्रोसेस किया जाएगा.
सही पेमेंट पहले की तरह नियमित साइकिल में ही प्रोसेस होंगे.
विवाद वाले पेमेंट के लिए अब केवल दो तय सेटलमेंट साइकिल होंगी. इसका मतलब अगर आपका पेमेंट फेल हो गया है या पैसे दो बार कट गए हैं, तो रिफंड इन्हीं दो साइकिल में प्रोसेस होगा.
इससे फायदा ये होगा कि सामान्य पेमेंट तेजी से निपटेंगे और रिफंड के मामले में ग्राहकों को ये पता होगा कि उनके पैसे कब वापस आएंगे.
किन चीजों में बदलाव नहीं होगा?कट-ऑफ टाइमिंग - रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की जो समय-सीमा पहले थी, वही बनी रहेगी.
रिपोर्टिंग सिस्टम - रिकॉन्सिलिएशन रिपोर्ट, जीएसटी रिपोर्ट और बाकी सेटलमेंट की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहेगी।
इसका मतलब बदलाव सिर्फ इस बात में है कि अब विवाद वाले ट्रांजेक्शन को अलग से प्रोसेस किया जाएगा.
आम लोगों पर क्या असर होगा?ज्यादातर ग्राहकों के लिए रोज़मर्रा का अनुभव वही रहेगा. दुकानों पर स्कैन करके पेमेंट करना या ऑनलाइन शॉपिंग के लिए यूपीआई इस्तेमाल करना पहले जैसा ही होगा. लेकिन फर्क ये पड़ेगा कि बैंकों में पेमेंट जल्दी दिखने लगेंगे.
रिफंड को लेकर समय-सीमा तय होगी. पहले लोगों को अंदाजा नहीं होता था कि उनका पैसा कब लौटेगा. अब चूंकि विवाद वाले ट्रांजेक्शन सिर्फ दो साइकिल में प्रोसेस होंगे, इसलिए यूजर्स को तय समय पर रिफंड मिलने की उम्मीद रहेगी.
अगर आपने पेमेंट किया और वो फेल हो गया, तो पहले रिफंड में 2-3 दिन लग जाते थे और कभी-कभी ग्राहक को लगातार बैंक से संपर्क करना पड़ता था.
डिजिटल इंडिया का बड़ा कदमभारत में यूपीआई की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. जिस तरह अगस्त में पहली बार एक महीने में 20 अरब ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए. वो इस बात का सबूत है कि भारत की जनता डिजिटल पेमेंट को बड़े पैमाने पर अपना चुकी है.
एनपीसीआई का ये फैसला न सिर्फ बैंकों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि ग्राहकों का भरोसा भी और मज़बूत करेगा.
3 नवंबर से होने वाले बदलाव यूपीआई को और भी तेज़, भरोसेमंद और पारदर्शी बनाएंगे. ग्राहकों के लिए रोज़मर्रा के लेन-देन पहले जैसे ही आसान रहेंगे, लेकिन बैंकों में पेमेंट जल्दी दिखेगा और रिफंड का इंतजार कम होगा.
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