यदि आप अपने जीवन में कुछ नया और बड़ा करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी नहीं है कि सभी संसाधन आपके पास में हो. हम ऐसी कई महिलाओं के बारे में जान चुके हैं जिन्होंने अभाव में जीवन गुजारा, लेकिन अपनी मेहनत और कुछ करने के जुनून से वे आर्थिक संकट से बाहर निकली और सफलता का मुकाम हासिल किया. आज हम उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के छोटे से गांव में रहने वाली एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं. यह हैं विनीता जो आज लखपति दीदी बनकर लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.
आर्थिक संकट और पारिवारिक जिम्मेदारियां का बोझ विनीता एक संयुक्त परिवार में रहती थी, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए उन्होंने 10 से 12 गायों को पालना शुरू किया. दूध डेयरियों को सप्लाई करती थीं. काफी मेहनत के बाद भी उन्हें दूध का सही समय पर और उचित भुगतान नहीं प्राप्त होता था. घर की जरूरत बच्चों की पढ़ाई आदि खर्चों के कारण घर चलना मुश्किल हो रहा था.
स्वयं सहायता समूह ने बदल दी जिंदगी उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जो विनीता और उनके जैसी कई महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई. विनीता को जब काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी और स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो उनके जीवन में बदलाव शुरू हो गया. काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी की सहायता से उनका डेयरी व्यवसाय और फलने फूलने लगा. अब उन्हें उनकी मेहनत का उचित दाम भी मिलता था और तकनीकी सहायता कंपनी की तरफ से मिलती थी.
स्वयं सहायता समूह से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विनीता ने अपने डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाया. उन्होंने न केवल अपने परिवार का बल्कि गांव के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब उनके पास 40 से अधिक गाये हैं. जिसके पालन के लिए वे ग्रामीणों को रोजगार देती हैं. सरकार की पहल और काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी जैसे संगठनों की कोशिशें के कारण आज ग्रामीण क्षेत्र की कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं.
विनीता आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. उनकी सफलता हमें सिखाती है कि यदि महिलाओं को भी उचित संसाधन और अवसर प्रदान किया जाए तो वह समझ में बड़े बदलाव ला सकती हैं.
आर्थिक संकट और पारिवारिक जिम्मेदारियां का बोझ विनीता एक संयुक्त परिवार में रहती थी, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए उन्होंने 10 से 12 गायों को पालना शुरू किया. दूध डेयरियों को सप्लाई करती थीं. काफी मेहनत के बाद भी उन्हें दूध का सही समय पर और उचित भुगतान नहीं प्राप्त होता था. घर की जरूरत बच्चों की पढ़ाई आदि खर्चों के कारण घर चलना मुश्किल हो रहा था.
स्वयं सहायता समूह ने बदल दी जिंदगी उत्तर प्रदेश की सरकार के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जो विनीता और उनके जैसी कई महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई. विनीता को जब काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी और स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो उनके जीवन में बदलाव शुरू हो गया. काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी की सहायता से उनका डेयरी व्यवसाय और फलने फूलने लगा. अब उन्हें उनकी मेहनत का उचित दाम भी मिलता था और तकनीकी सहायता कंपनी की तरफ से मिलती थी.
स्वयं सहायता समूह से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विनीता ने अपने डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाया. उन्होंने न केवल अपने परिवार का बल्कि गांव के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब उनके पास 40 से अधिक गाये हैं. जिसके पालन के लिए वे ग्रामीणों को रोजगार देती हैं. सरकार की पहल और काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी जैसे संगठनों की कोशिशें के कारण आज ग्रामीण क्षेत्र की कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं.
विनीता आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. उनकी सफलता हमें सिखाती है कि यदि महिलाओं को भी उचित संसाधन और अवसर प्रदान किया जाए तो वह समझ में बड़े बदलाव ला सकती हैं.
You may also like
बराबरी की भाषा: जब पहचान सिर्फ पुरुषों की हो जाए, तो भाषा से सवाल तो बनता है
एमपी के सबसे बड़े अस्पताल का नाम बदलने की मांग, नगर निगम में प्रस्ताव पास, कौन थे वो नवाब, जिन्हें बता रहे गद्दार
कल का मौसम 27 जुलाई 2025: यूपी-बिहार, दिल्ली, राजस्थान में बारिश का अलर्ट; जानें अपने शहर का हाल
Ben Stokes ने की महान गैरी सोबर्स और जैक कैलिस की बराबरी, 148 साल में ऐसा करने वाले तीसरे क्रिकेटर बने
हल्क होगन की मौत का असली कारण तो ये है, खुद ही की एक गलती ने ले ली जान