“गांव की पगडंडियों पर जो सुकून है, वो शहर की गलियों में कहां”भोपाल, 22 अगस्त (हि.स.)। “गांव की पगडंडियों पर जो सुकून है, वो शहर की गलियों में कहां”, इस कहावत को चरितार्थ करते मध्य प्रदेश में सतपुड़ा की वादियों में बसे छिंदवाड़ा जिले के पर्यटन-ग्राम अब पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण बन गये हैं। ग्रामीण जीवन, जनजातीय संस्कृति, पहाड़ी ट्रैकिंग और लोक नृत्य सब कुछ एक ही जगह पर्यटकों को मिल रहा है। यहां पर्यटन ग्रामों के होम स्टे देश-प्रदेश के पर्यटकों को खूब भा रहे हैं। हर वीकेंड यहां सैलानियों की अच्छी खासी आवाजाही हो रही है। पर्यटक गांवों में रुककर न सिर्फ ग्रामीण जीवन का अनुभव ले रहे हैं, बल्कि जनजातीय संस्कृति, खानपान और परंपरागत गतिविधियों से भी जुड़ रहे हैं।
जिला पंचायत सीईओ अग्रिम कुमार ने शुक्रवार को बताया कि पिछले दो वर्षों में यहां बनाये गये होम-स्टे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान मिली है। मध्य प्रदेश में होम-स्टे के माध्यम से पर्यटकों को ग्रामीण संस्कृति तथा ग्रामीण जीवन के अनुभव कराने के उद्देश्य से ग्रामीण पर्यटन परियोजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत प्रदेश के 100 गांवों को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन पर्यटन ग्रामों में बने होम स्टे परंपरा और आधुनिक सुविधाओं का संगम हैं। यहां आने वाले पर्यटक खुद को प्रकृति की गोद में पाते हैं।
होम-स्टे से रूका पलायन
सीईओ अग्रिम ने बताया कि जिले के 12 गांवों को पर्यटन ग्राम के रूप में चयनित किया गया है। इनमें से सात गांवों–सावरवानी, देवगढ़, काजरा, गुमतरा, चोपना, चिमटीपुर और धूसावानी में 36 होम स्टे पर्यटकों के लिए खोले जा चुके हैं। इन प्रयासों को कलेक्टर शीलेंद्र सिंह के कुशल मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। सुनिश्चित किया गया है कि हर पर्यटन ग्राम में आने वाले पर्यटकों को परंपरा और आधुनिकता का संतुलित अनुभव मिले और ग्रामीणों को इसका प्रत्यक्ष लाभ भी हो। होम-स्टे खुलने से ग्रामीण रोजगार और उच्च शिक्षा का रूझान बढ़ा है। साथ ही जनजातीय परिवारों का पलायन भी रूक गया है। गांव के युवा गाइड के रूप, लोक नृत्य और भजन मंडली की प्रस्तुति और बैलगाड़ी संचालन से सैलानियों को ग्रामीण जन-जीवन से अवगत कराते हुए अतिरिक्त आय भी अर्जित कर रहे हैं।
हर पर्यटन ग्राम की अपनी पहचान
उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा जिले के हर पर्यटन ग्राम की अपनी विशेषता है। भोपाल मार्ग पर साल के जंगल के बीच बसे चोपना में देवना नदी का अद्भुत नजारा, पातालकोट के चिमटीपुर गांव की रहस्यमयी वादियां, पेंच नेशनल पार्क के करीब ऑफबीट डेस्टीनेशन गुमतारा, देवगढ़ में गोंड शासन का ऐतिहासिक किला, काजरा में बंधान डेम के बेकवॉटर्स का सौंदर्य और धूसावानी गांव के चौरागढ़ महादेव मंदिर का दृश्य और आम के बागान पर्यटकों को यहां बार-बार आने के लिये प्रेरित करते हैं। होम-स्टे में पर्यटक गाय का दूध दोहने, खेत के कामों में हाथ बटाने और पहाड़ियों पर ट्रैकिंग करने जैसे अनुभव जीते हैं। पर्यटन ग्रामों में आने वाले सैलानी गांव में उगाई सब्जियों और अनाज का सेवन करते हैं। गाइड के रूप में गांव के युवा, बैलगाड़ी संचालन, ढोलक-मंजीरे के साथ भजन और कर्मा नृत्य मंडलियों की प्रस्तुति भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। कई परिवार यहां बार-बार लौटकर आ रहे हैं। इससे गांवों में अतिरिक्त आय के अवसर भी बढ़ रहे हैं। अब छिंदवाड़ा सिर्फ पर्यटन नहीं बल्कि सतत ग्रामीण विकास का राष्ट्रीय मॉडल बन रहा है।
भोपाल मार्ग पर साल के जंगल के बीच बसे चोपना और पातालकोट के चिमटीपुर गांव के होम स्टे हाल ही में पर्यटकों से गुलजार रहे। भोपाल व इंदौर से आए परिवारों ने यहां ग्रामीण परिवेश को करीब से जिया। गाय का दूध दुहना, बैलगाड़ी की सवारी, ट्रैकिंग और लोकनृत्य-लोकसंगीत जैसी गतिविधियों ने उन्हें खासा लुभाया। वहीं, धूसावानी गांव के होम स्टे परिसर से पचमढ़ी का प्रसिद्ध चौरागढ़ महादेव मंदिर साफ दिखाई देता है। यहां आम के बगीचे, झरने और घाटियों में फैला कोहरा पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है। बरसात और ठंड के मौसम में यहां का नजारा बेहद रोमांचक होता है। सावरवानी के होम स्टे को 2023 में इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) द्वारा रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म अवार्ड्स के लिए चुना गया था। वहीं 2024 में इसे पर्यटन मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ टूरिज्म विलेज अवार्ड प्रदान किया गया।_____________
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर
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