उत्तर प्रदेश एसटीएफ़ की नोएडा यूनिट ने मंगलवार 22 जुलाई को ग़ाज़ियाबाद में एक व्यक्ति को फ़र्ज़ी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया है.
अभियुक्त़ ख़ुद को वेस्टआर्कटिका, सबोरगा, पॉलविया और लोडोनिया जैसे तथाकथित देशों का राजदूत बताकर लोगों से संपर्क करता था.
एसटीएफ़ एसएसपी सुशील घुले के मुताबिक़, "वह ख़ुद को वेस्टआर्कटिका, सबोरगा, पॉलविया, लोडोनिया और कुछ 'देशों' का राजदूत बताकर लोगों से संपर्क करता था. उसके पास से कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है. बरामद गाड़ियों पर डिप्लोमैटिक स्टाइल की फ़र्ज़ी नंबर प्लेट लगी हुई थीं, जिन्हें किसी अधिकृत एजेंसी से मंज़ूरी नहीं मिली थी."
पुलिस का कहना है कि हर्षवर्धन जैन नाम के इस व्यक्ति ने ग़ाज़ियाबाद के कवि नगर क्षेत्र में एक किराए का मकान लिया था, जहां से वह कथित रूप से फ़र्ज़ी दूतावास संचालित कर रहा था.
कई मोहरें, फ़र्ज़ी पैन कार्ड और जाली तस्वीरें बरामद
एसएसपी सुशील घुले ने बताया, "अभियुक्त ग़ाज़ियाबाद के कवि नगर स्थित केबी-45 का निवासी है. हर्षवर्धन केबी-35, कवि नगर के एक किराए के मकान में कथित रूप से एक अवैध दूतावास चला रहा था."
उन्होंने आगे कहा, "वे लोगों को प्रभावित करने, उनसे ठगी के इरादे से मॉर्फ़्ड की गईं फ़ोटोग्राफ़ का इस्तेमाल करता था. इनमें वह ख़ुद को कई गणमान्य व्यक्तियों के साथ दिखाता था."
पूछताछ में सामने आया है कि वह विदेश में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर और शेल कंपनियों के ज़रिए हवाला रैकेट चलाकर लोगों से ठगी करता था.
पुलिस के मुताबिक़, गिरफ़्तारी के दौरान एसटीएफ़ ने अभियुक्त के पास से भारी मात्रा में संदिग्ध और फ़र्ज़ी सामग्री बरामद की है. इनमें शामिल हैं:
- चार गाड़ियां, जिन पर डिप्लोमैटिक स्टाइल की फ़र्ज़ी नंबर प्लेट लगी थीं
- 12 अलग-अलग अवैध पासपोर्ट
- दो फ़र्ज़ी पैन कार्ड
- 34 अलग-अलग देशों और कंपनियों की नकली मोहरें
- दो प्रेस कार्ड
- 44 लाख 70 हज़ार रुपये नक़द
- कई देशों की करेंसी
- 18 अतिरिक्त फ़र्ज़ी नंबर प्लेटें
- कंपनियों से जुड़े दस्तावेज़
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पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक़, साल 2011 में भी हर्षवर्धन को एक मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
एसएसपी सुशील घुले ने कहा, "उस समय उसके पास से सैटेलाइट फ़ोन बरामद हुआ था और उसके ख़िलाफ़ थाना कवि नगर में मामला दर्ज किया गया था."
अब ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने आरोपी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया है. उस पर अवैध गतिविधियों, फ़र्ज़ी दस्तावेज़ रखने और बनाने, और ठगी के तहत अलग-अलग धाराओं में क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है.
वेस्टआर्कटिका क्या है?
इस मामले के सामने आने के बाद वेस्टआर्कटिका भी सुर्ख़ियों में है. अभियुक्त हर्षवर्धन ख़ुद को जिन देशों का राजदूत बताता था, उनमें से एक नाम था वेस्टआर्कटिका.
पहली बार सुनने पर यह किसी छोटे या दूर-दराज़ देश जैसा लगता है, लेकिन वेस्टआर्कटिका दरअसल एक काल्पनिक देश है, जिसे साल 2001 में अमेरिका के एक पूर्व नौसेना अधिकारी ट्रैविस मैकहेनरी ने बनाया था.
इसकी अपनी वेबसाइट, झंडा, राजचिह्न और एक करेंसी भी मौजूद है. यह ख़ुद को अंटार्कटिका के उस बर्फीले हिस्से का प्रतिनिधि बताता है जिस पर किसी देश का औपचारिक दावा नहीं है.
वेस्टआर्कटिका की वेबसाइट के मुताबिक़, वह एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका मक़सद पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरुकता फैलाना है. इसमें 'राजदूत' जैसे पद, 'नागरिकता' और 'सम्मानित उपाधियां' भी दी जाती हैं.
हालांकि, दुनिया के किसी भी देश या संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक असली देश के रूप में कभी मान्यता नहीं दी है.
वेस्टआर्कटिका कीवेबसाइटके मुताबिक़, इस 'देश' की सरकार की अगुवाई ग्रैंड ड्यूक ट्रैविस करते हैं, जिनकी मदद के लिए एक प्रधानमंत्री और 'रॉयल काउंसिल' बनाई गई है.
इसके अलावा, 'ग्रैंड ड्यूकल कोर्ट' नाम की एक संस्था भी है जो वेस्टआर्कटिका के बनाए गए क़ानूनों की व्याख्या करने का काम करती है.
वेबसाइट पर बताया गया है कि इनके 'पीअर्स' यानी सदस्य वे लोग होते हैं जो संस्था के उद्देश्यों को पूरा करने में अपनी जानकारी, समय और कौशल से योगदान देते हैं.
हालांकि यह सब सिर्फ डिजिटल और प्रतीकात्मक ढांचे तक सीमित है, जिसकी असल दुनिया में कोई कानूनी या राजनयिक मान्यता नहीं है.
हालांकि इस वेस्टआर्कटिका का अभियुक्त हर्षवर्धन से कोई संबंध है इस बारे में कोई जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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