बिहार के बेतिया में एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां एक साल के बच्चे ने कथित तौर पर एक सांप को दांत से काट लिया जिसके बाद सांप की मौत हो गई.
बच्चे के परिजनों का दावा है कि ये ज़हरीला कोबरा सांप था.
बीते गुरुवार हुई इस घटना के बाद बच्चा स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का विषय बना हुआ है. बच्चा फ़िलहाल स्वस्थ है.
ये मामला बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले का है, जिसका मुख्यालय बेतिया है.
बेतिया के मझौलिया प्रखंड के मोहछी बनकटवा नाम का गांव है. इस गांव में सुनील साह नाम के व्यक्ति आइसक्रीम बेचकर अपना गुज़र बसर करते हैं.
सुनील साह का एक साल का बेटा है- गोविंद कुमार. गोविंद कुमार ने ही कथित तौर पर सांप को दांत से काटा है.
गोविंद कुमार की दादी मतिसरी देवी बताती हैं, "इसकी मां घर के पीछे काम कर रही थी. वह लकड़ी को ठीक से व्यवस्थित कर रही थी. तभी सांप निकला. गोविंद वहीं बैठा खेल रहा था. इसने सांप को देखा तो उसे पकड़कर दांत से काट दिया. हम लोगों की नज़र तब पड़ी. वह गेहुंवन (कोबरा) सांप था."
"सांप को दांत से काटने के बाद ये कुछ देर के लिए बेहोश हो गया, तब हम लोग इसको मझौलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर गए जहां से उसे बेतिया अस्पताल (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जीएमसीएच) रेफ़र कर दिया गया. अभी बच्चा स्वस्थ है."
मंझौलिया के स्थानीय पत्रकार नेयाज़ बताते हैं, "बच्चा शनिवार शाम घर आ गया था. उसके बारे में लगातार चर्चा हो रही है. सावन के महीने में सांप निकलना आम बात है. लेकिन इस तरह की घटना हमारे इलाके़ में पहली बार हुई है."
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गोविंद कुमार को गुरुवार शाम को बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. उनका इलाज करने वाले डॉ कुमार सौरभ शिशु रोग विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं.
वह बताते हैं, "बच्चा जब भर्ती होने के लिए आया तो उसके चेहरे पर सूजन थी. ख़ासतौर पर मुंह के आसपास. घर वालों ने बताया कि उसने सांप को मुंह के पास काटा और उसका कुछ हिस्सा खा लिया."
"मेरे पास एक ही वक़्त में दो तरह के केस थे. एक बच्चा जिसे कोबरा ने काटा और एक दूसरा बच्चा जिसने कोबरा को काटा. ये दोनों ही बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं."
डॉ. कुमार सौरभ ने बीबीसी को बताया, "कोबरा जब मनुष्य को काटता है तो उसका ज़हर हमारे ख़ून में चला जाता है. ख़ून में ज़हर जाने से न्यूरोटॉक्सिसिटी होती है जिससे हमारा नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है और मृत्यु की आशंका बनती है."
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डॉ. सौरभ बताते हैं, "वहीं जब कोई मनुष्य कोबरा को काटता है तो मुंह के ज़रिए ये ज़हर हमारे पाचन तंत्र तक पहुंचता है. मनुष्य का शरीर उस ज़हर को निष्क्रिय कर देता है और ज़हर बाहर निकल जाता है. यानी ज़हर दोनों में काम करता है. लेकिन एक केस में ज़हर का असर नर्वस सिस्टम पर होता है जबकि दूसरे केस में मनुष्य का शरीर ज़हर को निष्क्रिय कर देता है."
हालांकि डॉ. कुमार सौरभ बताते हैं कि मनुष्य जब सांप को काटता है तो उसका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है.
डॉ. कुमार सौरभ बताते हैं, "मनुष्य जब सांप को काटता है तो स्थितियां बिगड़ सकती हैं, अगर खाने की नली में किसी तरह का ब्लीडिंग प्वाइंट हो- जैसे अल्सर."
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक़, हर साल सांपों के काटने से दुनिया भर में 80 हज़ार से एक लाख 30 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है.
इनमें से हर साल भारत में औसतन 58 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है. इस वजह से भारत को दुनिया की 'स्नेकबाइट कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड' का टैग मिला है.
बिहार राज्य के हेल्थ मैनेजमेंट इनफ़ॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) से मिले आंकड़ों के मुताबिक़, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच राज्य में 934 मौतें सांपों के काटने की वजह से हुईं.
इसी दौरान सांपों के काटने के कारण सरकारी अस्पतालों में 17,859 मरीज़ इलाज के लिए आए.
लेकिन केंद्र सरकार की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक़, देशभर में सांप के काटने से होने वाली मौतों का आंकड़ा 'अंडर रिपोर्टेड' है.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र है कि सांप के काटने के ज़्यादातर मामलों में बहुत कम मरीज़ ही अस्पतालों तक पहुंच पाते हैं, जिसके कारण सांपों के काटने से होने वाली मौत का आंकड़ा कम रिपोर्ट हो पाता है.
साथ ही सांप के काटने से होने वाली 70 फ़ीसदी मौत बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात में होती हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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