शुक्रवार शाम तिरुचिरापल्ली से शारजाह जा रहे एअर इंडिया एक्सप्रेस के विमान की हाइड्रॉलिक सिस्टम में गड़बड़ी आने के बाद विमान ढाई घंटे तक आसमान में चक्कर लगाता रहा.
हालांकि, विमान को रनवे पर सुरक्षित उतार लिया गया लेकिन नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इस मामले की गहन जांच का आदेश दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शाम करीब साढ़े पांच बजे तिरुचिरापल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ देर बाद विमान की हाइड्रॉलिक सिस्टम में गड़बड़ी आ गई थी.
विमान को सुरक्षित उतारने में क़ामयाब होने पर पायलटों की तारीफ़ हो रही है और तमिनलाडु के सीएम और गर्वनर ने भी उनको धन्यवाद कहा है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंएयरलाइंस के प्रवक्ता के अनुसार, 141 यात्रियों को लेकर यह विमान तिरुचिरापल्ली से शाम 5.30 बजे शारजाह के लिए उड़ा था और रात 8.15 बजे सुरक्षित उतरा.
जैसे ही विमान ने टेक ऑफ़ किया, इसके कुछ देर बाद ही हाइड्रॉलिक सिस्टम यानी लैंडिंग गियर में गड़बड़ी का पता चला.
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, “हम साफ़ करना चाहेंगे कि ऑपरेटिंग क्रू की ओर से कोई भी इमरजेंसी घोषित नहीं की गई थी. तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद विमान काफ़ी सावधानी बरतते हुए ख़ास इलाक़े में चक्कर लगाता रहा, ताकि रनवे की लंबाई का ध्यान रखते हुए ईंधन और विमान के भार को कम किया जा सके.”
हाइड्रॉलिक सिस्टम असल में लैंडिंग में इस्तेमाल ब्रेक, लैंडिंग गियर सहित अन्य उपकरणों को नियंत्रित करने वाली प्रणाली होती है.
यह विमान के लैंडिंग गियर और हवा का दबाव बदलने वाले पंखों को नियंत्रित करता है.
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने इस गड़बड़ी के कारणों की जांच कराए जाने की बात कही और बताया कि यात्रियों की आगे की यात्रा के लिए वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की गई.
नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक जारी कर कहा, “शाम 6.05 बजे फ़ुल इमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद एयरपोर्ट और इमरजेंसी टीमों को तेजी से सक्रिय कर दिया गया था.”
बयान के अनुसार, “हाइड्रॉलिक गड़बड़ी की पूरी जांच की जाएगी ताकि कारण को सुनिश्चित किया जा सके.”
पीटीआई ने बोइंग के एक वरिष्ठ पायलट के हवाले से कहा कि बोइंग 737 जैसे विमानों में ईंधन के टैंक को इजेक्ट करने या हवा में ईंधन निकालने का विकल्प नहीं है और सिर्फ ईंधन को खपाया जा सकता है. इसीलिए, इस मामले में विमान को अपना पूरा वज़न कम करने के लिए ईंधन जलाना था. यही कारण है कि विमान को हवा में चक्कर लगाने पड़े.
पायलट ने कहा कि इमरजेंसी के हालात में अधिक वज़न के साथ लैंडिंग की मंज़ूरी दी जा सकती है लेकिन तभी जब आग जैसी घटनाएं हुई हों.
हालांकि चौड़ी बॉडी वाले बोइंग 777 और 787 जैसे विमानों में ईंधन निकालने का विकल्प होता है.
विमान संख्या IX 613 का विमान बोइंग 737 था.
नियमों के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से लैंडिंग के दौरान विमान का एक निर्धारित वज़न तय किया गया है.
यात्रियों को लेकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए विमान के पायलटों की तारीफ़ की जा रही है.
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लोग पायलटों की सूझबूझ और बहादुरी की वाहवाही कर रहे हैं.
एक्स पर एक यूज़र ने , “पायलटों की बहादुरी ने त्रिची में एक हादसा होने से बचा लिया. बहादुर पायलट को सलाम जिन्होंने 140 यात्रियों को ले जाने वाले विमान को सही सलामत लैंड कराया. पायलट के असाधारण हुनर ने एक संभावित हादसे को रोक लिया.”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्लाटिन ने कहा कि उन्होंने अधिकरियों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की और सभी सुरक्षा उपायों को अमल में लाने का निर्देश दिया.
सीएम स्टालिन ने विमान के कैप्टन और क्रू के सदस्यों को सुरक्षित लैंडिंग के लिए बधाई दी.
उन्होंने एक्स पर , “एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान सुरक्षित रूप से लैंड हो गई, इसकी मुझे ख़ुशी है. लैंडिंग गियर में समस्या की ख़बर पाने के बाद मैंने फ़ोन पर तुरंत अधिकारियों के साथ एक इमरजेंसी मीटिंग की और सुरक्षा के सभी ज़रूरी उपायों को अमल में लाने और मौके पर दमकल, एंबुलेंस और मेडिकल सहायता तैनात करने का निर्देश दिया.”
तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने कैप्टन और सह पायलट को सुरक्षित लैंडिंग के लिए धन्यवाद दिया है.
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “लैंडिंग गियर में समस्या के चलते तिरुचिरापल्ली से शारजाह जाने वाली फ़्लाइट IX613 की सुरक्षित लैंडिग कराने के लिए कैप्टन और सह पायलट को बहुत धन्यवाद. तनाव के इन पलों में केबिन क्रू और कॉकपिट के पेशेवराना धैर्य और साहस काबिले तारीफ़ है.”
सोशल मीडिया पर वायरल में दिख रहा है कि सुरक्षित लैंडिंग के बाद एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों दौड़ते हुए विमान की ओर जा रहे हैं और ख़ुशी मना रहे हैं.
एक में दिख रहा है कि एयरपोर्ट से बाहर आते पायलटों को लोग बधाई दे रहे हैं और शुक्रिया कह रहे हैं. लोग उन्हें ‘हीरो’ बता रहे हैं.
लैंडिंग के बाद यात्रियों ने राहत की सांस ली और उन्होंने भी पायलट की कुशलता की तारीफ़ की.
पुदुकोट्टाई ज़िले के रहने वाले एक यात्री शाहुल हमीद ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “मैंने कुछ भी असमान्य महसूस नहीं किया. विमान पहले जैसा ही उड़ रहा था. लैंडिंग के 30 मिनट पहले हमें बताया कि हम तिरुचि एयरपोर्ट पर उतरने जा रहे हैं. उन्होंने सबको खाना दिया और हम सभी का ख़्याल रखा. आसमान में उड़ान के दौरान कोई भी घबराया नहीं. सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए पायलट का शुक्रिया.”
एक अन्य यात्री उमर ने एएनआई को बताया, “विमान का टेक ऑफ़ सामान्य था. उड़ान भरने के एक घंटे बाद मैंने महसूस किया कि वो चक्कर लगा रहा है. क़रीब 7.40 बजे क्रू ने एलान किया कि उड़ान में कुछ समस्या है और तिरुची एयरपोर्ट पर विमान लैंड करने वाला है. लेकिन हम सभी में किसी को भी नहीं पता चला कि विमान में गड़बड़ी थी, इस लिहाज से पायलट ने अच्छी तरह हालात का सामना किया. सारा श्रेय पायलट को जाता है.
उन्होंने कहा, "काफ़ी समय तक सब कुछ सामान्य लगा. कुछ समय बाद मुझे लगा कि थोड़े समय बाद ही विमान को समंदर पार करना चाहिए था लेकिन नीचे अभी भी ज़मीन दीखाई दे रही थी. इससे कुछ शंका हुई. इसके कुछ ही देर बाद पायलट ने गड़बड़ी की घोषणा करते हुए लैंडिंग की सूचना दी.”
ईंधन कम करना क्यों था ज़रूरी? Getty Images ईंधन की वजह से विमान का वज़न अधिक होता है और लैंडिंग में परेशानी का सबब हो सकता है.एयरफ़ोर्स के एक पूर्व अफ़सर राम ने बीबीसी तमिल को बताया कि जब विमान उड़ान भरता है तो सबसे पहले विमान के पहिए बंद होते हैं. यह उड़ान के कुछ मिनटों में ही होता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो विमान को वापस उतारा जाता है.
लेकिन टेक ऑफ़ के समय ईंधन के वज़न के चलते विमान को तुरंत नहीं उतारा जा सकता. इसलिए ईंधन को कम किया जाता है.
कुछ बड़े विमानों में ईंधन को आसमान में ही छोड़ने की ख़ास तकनीकी होती है. लेकिन यह विमान इस तकनीक से लैस नहीं है. इसीलिए कई चक्कर लगाकर ईंधन खपाने की कोशिश की गई.
एयरफ़ोर्स के पूर्व अधिकारी ने बताया, “तिरुची से शारजाह की दूरी 1500 नॉटिकल मील यानी 2800 किलोमीटर है. इस यात्रा के लिए विमान में पर्याप्त ईंधन था. इसलिए उन्होंने विमान को तभी उतारा जब ईंधन ख़त्म होने को था. शारजाह पहुंचने में विमान को चार घंटे लगते हैं. ढाई घंटे की उड़ान ईंधन जलाने के लिए पर्याप्त थी.”
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के एक अधिकारी के हवाले से ने लिखा है कि हाइड्रॉलिक गियर में गड़बड़ी के चलते बेली लैंडिंग का सुझाव दिया गया था, हालांकि जब विमान उतरा तो उसके लैंडिंग गियर सही सलामत थे.
लेकिन बेली लैंडिंग एक जोख़िम भरी प्रक्रिया होती है जिसमें जहाज़ के पहिये नहीं खुलते हैं और विमान रनवे पर तेजी से घिसटता है और उससे चिंगारी निकलती है.
इसीलिए विमान में ईंधन को बेहद कम रखने की कोशिश की जाती है क्योंकि बेली लैंडिंग में विमान में विस्फोट होने का ख़तरा होता है.
चिंगारी के ख़तरे को कम करने के लिए विमान पर पानी की बौछार की जाती है. इसीलिए इमरजेंसी उपायों में सबसे पहले दमकल गाड़ियों और मेडिकल टीमों को तैनात किया जाता है.
भारत ने बोइंग 737 विमानों पर निगरानी बढ़ाई थीसाल 2022 में अमेरिकी कंपनी बोइंग के एक यात्री विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भारत ने देश में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश जारी किए थे.
'डीजीसीए' (डायरेक्टर जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन) ने सभी बोइंग 737 विमानों पर पहले से कहीं ज़्यादा नज़र रखने का आदेश जारी किया था.
2021 में इंडोनेशिया में बोइंग 737 का यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था उसके बाद इस विमान की तकनीकी समस्याओं को लेकर सवाल उठे थे.
इससे पहले कंपनी ने 2019 से 2021 के बीच अपने बोइंग 737 मैक्स मॉडल को सेवाओं से हटाने का निर्णय लिया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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