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सचिन पायलट ने उठाए सवाल, कहा- 2027 में जनगणना शुरू करने की मंशा पर संदेह

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मंगलवार दोपहर प्रेस वार्ता कर जातिगत आंकड़ों सहित पूरी जनगणना कराने की सरकार की मंशा पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में 2027 में जनगणना शुरू करने का जिक्र है, जो समझ से परे है।

तुरंत जनगणना की मांग
पायलट ने तत्काल जनगणना की मांग करते हुए कहा कि इसके पीछे मकसद सिर्फ लोगों की जाति जानना नहीं है, बल्कि यह पता लगाना है कि लोग आज किन हालातों में रह रहे हैं। जब तक हमें यह पता नहीं चलेगा कि कौन कितना शिक्षित है, उसे कितनी सरकारी नौकरियां मिली हैं, वह कितना कमा रहा है, उसे कितनी योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है, तब तक हम पिछड़े समुदायों के उत्थान के लिए कैसे काम कर पाएंगे। सरकार को जल्द से जल्द जनगणना करानी चाहिए और इसके लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।

'तेलंगाना में सबसे अच्छा काम हुआ'
सचिन पायलट ने कहा कि तेलंगाना में जनगणना का सबसे अच्छा काम हुआ है। वहां की सरकार ने बहुत समझदारी से जनगणना कराई है। इसमें विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। एनजीओ की सीधी भागीदारी क्या है? तकनीकी लोगों को शामिल किया गया है। उन्होंने इससे विस्तृत जानकारी हासिल की है। जनगणना से हमें पता चलता है कि हमें भविष्य में किस तरह की योजनाएं बनानी हैं और किन बातों को ध्यान में रखना है। बजट भी उसी हिसाब से जारी होता है। कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि जनगणना के जरिए समाज के पिछड़े वर्गों को राहत देनी होगी।

दो चरणों में होगी जनगणना

बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को जाति जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में कहा गया है कि जाति जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी। अधिसूचना के मुताबिक पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल होंगे, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा। अधिसूचना के मुताबिक पूरे भारत के लिए जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की रात 12 बजे होगी, लेकिन लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 की रात 12 बजे होगी।

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