Next Story
Newszop

कोर्ट का अहम फैसला! अजमेर स्थित रामसेतु ब्रिज को 11 जुलाई तक तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश, जानिए वजह ?

Send Push

राजस्थान के अजमेर शहर में राम सेतु पुल को लेकर लंबे समय से चली आ रही जन चिंता और कानूनी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। सिविल जज (पश्चिम) अजमेर की अदालत ने राम सेतु पुल के संबंध में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रशासन को 11 जुलाई, 2025 तक पुल की चारों भुजाओं को पूरी तरह बंद करने के निर्देश दिए हैं।

इस मामले में अजमेर के 15 वकीलों ने मिलकर अदालत में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुल की जर्जर हालत के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे आम लोगों की जान खतरे में है। पहले भी पुल की हालत को लेकर शिकायतें आती रही हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण मरम्मत कार्य नहीं हो पाया।

पुल की दीवारों में दरारें
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि पुल की दीवारों में दरारें हैं, जंग लगी छड़ें निकल आई हैं और यह पुल पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन सवारों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने प्रशासन को 11 जुलाई तक पुल को चारों तरफ से बंद करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद, प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं और स्थानीय लोग अदालत के फैसले को जनहित में एक बड़ी राहत मान रहे हैं। सबसे विवादास्पद बयान आरएसआरडीसी अधिकारी चारु मित्तल का रहा, जिन्होंने सड़क के टूटने का कारण "पुल को चूहों द्वारा कुतरना" बताया। लेकिन जाँच समिति ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इसे 'गंभीर निर्माण दोष' बताया। समिति का कहना है कि अगर चूहे सचमुच कंक्रीट को नुकसान पहुँचा सकते हैं, तो यह स्पष्ट है कि निर्माण सामग्री घटिया थी।

अब पुनर्निर्माण ही एकमात्र विकल्प
जाँच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि राम सेतु पुल को केवल मरम्मत की ही नहीं, बल्कि पूरी तरह से पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर जनता के करों का दुरुपयोग किया गया और घटिया निर्माण में करोड़ों रुपये बर्बाद किए गए। अब प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं और अदालत के आदेश को जनहित में एक बड़ी जीत माना जा रहा है।

मार्टिंडेल ब्रिज सैकड़ों सालों से मज़बूती की मिसाल है
राम सेतु पुल की दुर्दशा के विपरीत, अजमेर शहर का मार्टिंडेल ब्रिज आज भी मज़बूती से खड़ा है। रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस पुल का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था और इसका नाम एक अंग्रेज़ अधिकारी 'मार्टिंडेल' के नाम पर रखा गया था। लोहे और पत्थर से बना यह ऐतिहासिक पुल न केवल इंजीनियरिंग की एक मिसाल है, बल्कि आज भी भारी यातायात को आसानी से झेल रहा है।

Loving Newspoint? Download the app now