अगर आप राजस्थान में हिमाचल और उत्तराखंड जैसा अनुभव करना चाहते हैं, तो परिवार के साथ गोरमघाट ज़रूर जाएँ। मानसून आते ही गोरमघाट पर्यटकों की पहली पसंद बन गया है। यहाँ रोज़ाना हज़ारों पर्यटक पहुँच रहे हैं। मारवाड़ जंक्शन से गोरमघाट और गोरमघाट से मारवाड़ जंक्शन जाने वाले पर्यटकों को मानसून के दिनों में ट्रेन में जगह नहीं मिलती, इसलिए वे ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा करना नहीं भूलते। जिससे हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
इसलिए ज़रूर जाएँ गोरमघाट
राजसमंद ज़िले में स्थित गोरमघाट, देवगढ़ से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बारिश के दिनों में प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के लिए रोज़ाना हज़ारों पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं। पर्यटक ट्रेन के सफ़र को ज़्यादा महत्व देते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि जब ट्रेन घने जंगल और सर्पीली पहाड़ियों से गुज़रते हुए ब्रिटिश काल में बने पुल से गुज़रती है, तो प्रकृति का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। जिसे हर पर्यटक अपने कैमरे में कैद करना चाहता है। यहाँ राजस्थान में सबसे ऊँचाई से गिरने वाला भील बेरी झरना भी पर्यटकों की खास पसंद है।
केवल एक ट्रेन का संचालन
पहले मारवाड़ जंक्शन और गोरमघाट के बीच दो ट्रेनें चलती थीं। अब इस रूट पर केवल एक ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। जिसके कारण जब पर्यटकों को जगह नहीं मिलती, तो वे ट्रेन की छत पर बैठ जाते हैं। न तो उन्हें कोई रोकने वाला था और न ही उन्हें ऐसा करने से रोकने वाला।
भीड़ और बढ़ेगी
मारवाड़ जंक्शन के देवेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि गोरमघाट को प्रदेश का कश्मीर कहा जाता है। बारिश के मौसम में यहाँ प्रतिदिन हजारों पर्यटक पहुँचते हैं। मेवाड़ से रामदेवरा जाने वाले यात्रियों की भीड़ भी इस ट्रेन में अधिक होती है। इससे यात्रीभार और बढ़ने की उम्मीद है। यात्रीभार को देखते हुए पहले की तरह दो ट्रेनों का संचालन किया जाना चाहिए।
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