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शांतिभंग में गिरफ्तार दलित की थाने में मौत, परिजन बोले- पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला

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राजस्थान के बारां जिले के छीपाबड़ौद थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत में हरीश वाल्मीकि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। युवक को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हिरासत में उसके साथ मारपीट की गई। पुलिस का कहना है कि हरीश की तबीयत बिगड़ने पर उसे चिप्पाबड़ौद अस्पताल ले जाया गया और उपचार के बाद उसे वापस थाने लाया गया।

गुरुवार सुबह जब उनकी तबीयत फिर बिगड़ी तो उन्हें दोबारा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस का दावा है कि मौत का कारण दिल का दौरा है।

परिवार ने शव लेने से इनकार कर दिया।
हरीश वाल्मीकि के परिवार ने शव लेने से इनकार कर दिया और पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पुलिस ने बुधवार सुबह उन्हें गोरधनपुरा गांव से हिरासत में लिया और थाने में उनकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे उनकी मौत हो गई। परिवार ने 50 लाख रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। थाने में तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच और सख्त कार्रवाई की भी मांग की गई है।

ग्रामीणों और भीम आर्मी का प्रदर्शन
घटना की सूचना मिलते ही परिजन, ग्रामीण व भीम आर्मी पदाधिकारी अस्पताल पहुंचे और पुलिस के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। एएसपी राजेश चौधरी, डीएसपी विकास कुमार और एसडीएम अभिमन्यु सिंह कुंतल मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन परिजन अड़े रहे।


पुलिस के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग
भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने इसे दलित युवक की हिरासत में हत्या बताया और मेडिकल बोर्ड से स्वतंत्र जांच की मांग की। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।

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