राजस्थान की बिजली कंपनियों में लंबे समय से खाली पड़े शीर्ष पदों पर आखिरकार राज्य सरकार ने नियुक्तियां कर दी हैं। बिजली उत्पादन निगम को सीएमडी और ट्रांसमिशन निगम, जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम को प्रबंध निदेशक और निदेशक पद दिए गए हैं। 9 नियुक्तियों में से 5 पदों पर उन टेक्नोक्रेट्स पर भरोसा जताया गया है, जो पिछले डेढ़ साल से इन पदों पर काबिज थे। इनमें से कुछ को पिछली कांग्रेस सरकार में कार्यवाहक के तौर पर जिम्मेदारी दी गई थी। इनकी नियुक्ति एक साल के लिए की गई है। बताया जा रहा है कि ज्यादातर नाम ऊर्जा मंत्री ने ही प्रस्तावित किए थे। कुछ टेक्नोक्रेट्स ने दिल्ली से 'व्यवस्था' कर ली। कई जगह निदेशक के पद खाली हैं, जिनके लिए आदेश भी जारी होने हैं।
घोटाले में चर्चित अधिकारी को दी गई अहम जिम्मेदारी
अजमेर डिस्कॉम के कार्यवाहक एमडी केपी वर्मा का नाम चर्चा में रहा। बिजली व्यवस्था सुधारने के नाम पर 237 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच रिपोर्ट में वर्मा का नाम था। डिस्कॉम प्रबंधन ने पांच में से चार अधिकारियों को चार्जशीट दी, लेकिन वर्मा को गवाह बनाया।
ये पांच कार्यवाहक से स्थायी हो गए हैं
विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक: देवेंद्र श्रृंगी
अजमेर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक: के.पी. वर्मा
विद्युत संचरण निगम में निदेशक (संचालन): सुरेश चंद मीना
विद्युत उत्पादन निगम में निदेशक (परियोजनाएं): के.एल. मीना
विद्युत उत्पादन निगम में निदेशक (वित्त): एम.के. खंडेलवाल
इन नए अधिकारियों की नियुक्ति
विद्युत संचरण निगम में निदेशक (तकनीकी): अशोक कुमार शर्मा
जयपुर विद्युत वितरण निगम में निदेशक (तकनीकी): आर.के. शर्मा
जोधपुर विद्युत वितरण निगम में निदेशक (तकनीकी): वी.के. छंगाणी
विद्युत उत्पादन निगम में निदेशक (तकनीकी): संजय सनाढ्य
(वे अतिरिक्त मुख्य अभियंता और मुख्य अभियंता के पदों पर कार्यरत थे)
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