राजस्थान में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के ठेकेदारों द्वारा टेंडर बहिष्कार के कारण प्रदेश भर में करीब 2000 करोड़ रुपए के टेंडर अटके पड़े हैं। इसका सबसे बड़ा असर झुंझुनू जिले में भी देखने को मिल रहा है, जहां करीब 300 करोड़ रुपए के काम अटके हुए हैं। ठेकेदारों की हड़ताल के कारण जिले में सड़कों और सरकारी भवनों का निर्माण पूरी तरह से ठप हो गया है। झुंझुनू जिले में सर्कल से जुड़े करीब 150 ठेकेदारों ने 11 सूत्री मांगों को लेकर 26 जून से काम का बहिष्कार कर रखा है। इसके कारण जिले में सड़क निर्माण, मरम्मत, डामरीकरण, चौड़ीकरण और सरकारी भवनों के निर्माण जैसे महत्वपूर्ण काम प्रभावित हो रहे हैं।
झुंझुनू में यह असर: 350 सड़कों और 100 भवनों का निर्माण अटका
अधिकारियों की मानें तो जिले में सरकारी भवनों का निर्माण, मुख्य सड़कों और मिसिंग लिंक सड़कों का निर्माण, उनकी मरम्मत, चौड़ीकरण आदि समेत कई काम ठप पड़े हैं। कार्य बहिष्कार के कारण करीब 100 सरकारी भवनों का निर्माण कार्य ठप हो गया है। वहीं 300 से 350 सड़कों का निर्माण व मरम्मत कार्य भी नहीं हो पाएगा।
आठ दिन से धरना चल रहा है।
जिले भर के ठेकेदार 26 जून से टेंडर का बहिष्कार कर पीडब्ल्यूडी कार्यालय परिसर में धरना दे रहे हैं। ठेकेदारों की मांग है कि क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर व टेक्नीशियन भ्रष्टाचार कर रहे हैं। जब तक उन्हें हटाया नहीं जाता, तब तक धरना जारी रहेगा। इसके अलावा ठेकेदारों की 11 सूत्रीय मांगें हैं, जिन्हें सरकार को मानना चाहिए। गुरुवार को ठेकेदार मोहर सिंह सोलाना, मोहन सिंह डोटासरा, प्रदीप लंबोरिया, सत्यनारायण खेड़ला, राजेश मंडीवाल, लालचंद यादव, अनिल झाझड़िया, दलबीर सिंह, उम्मेद सिंह चाहर, कुलदीप कटेवा, शीशराम, सुरेश रुंला, वीरेंद्र सिंह नैन, महेंद्र सिंह झाझड़िया, विजेंद्र सहित कई अन्य धरने पर बैठे।
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