भक्ति, शक्ति और शौर्य की नगरी के रूप में विख्यात चित्तौड़ जिले की जनसंख्या 17,92,973 को पार कर गई है। हमारे जिले की जनसंख्या विश्व के 32 देशों से भी अधिक है। पहले जनसंख्या वृद्धि को लेकर चिंता होती थी, लेकिन समय के साथ नजरिया बदला है। अब यदि इस जनशक्ति को जिले की पंचशक्तियों से जोड़ दिया जाए, तो न तो जिले में कोई बेरोजगार रहेगा और न ही विकास फाइलों तक सीमित रहेगा। हमारे जिले की पंचशक्तियाँ हैं। उत्पादन में सीताफल, उत्पादन में बिल्व पत्र, ग्रेनाइट और संगमरमर, पर्यटन स्थल चित्तौड़गढ़ किला और खेलों में कबड्डी। यही वह क्षेत्र है जिसमें चित्तौड़गढ़ पहले से ही मजबूत है। अब हमें स्वयं इन शक्तियों को नई दिशा देने में जुट जाना चाहिए। इसके लिए केवल दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
सीताफल: उत्पादन 2145 मीट्रिक टन, धनवर्षा
जिले में सीताफल का उत्पादन 2145 मीट्रिक टन तक पहुँच गया है। पिछले वर्ष 132 हेक्टेयर में सीताफल का उत्पादन हुआ था। इसका सर्वाधिक उत्पादन चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में होता है। सरकार ने यहां सीताफल उत्कृष्टता केंद्र खोला है। यहां सीताफल का गूदा निकालकर बेचा जाता है। इससे मिठाइयां, आइसक्रीम, शेक आदि बनाए जाते हैं। इससे लोगों को रोजगार भी मिलता है। उप निदेशक डॉ. शंकर लाल जाट ने बताया कि केंद्र द्वारा सीताफल उत्कृष्टता केंद्र में 29 किस्में तैयार की जा रही हैं। इससे उत्पादन बढ़ेगा और गुणवत्ता में और सुधार होगा। बिल्व पत्र के पेड़ शहरों के साथ-साथ गांवों में भी देखने को मिलते हैं। यह पेड़ आस्था से भी जुड़ा है। भगवान शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं। इस पेड़ पर लगने वाले बिल्व का उपयोग जूस, मुरब्बा और कई आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. सौरभ हाड़ा ने बताया कि आयुर्वेद में बिल्व का बहुत महत्व है। बिल्व से बने उत्पाद पेट के रोगों के लिए रामबाण हैं।
ग्रेनाइट और मार्बल से सैकड़ों लोगों को मिलता है रोजगार
जिले में मार्बल और ग्रेनाइट की खदानें नहीं हैं, लेकिन राजनगर, सलूंबर और बांसवाड़ा से मार्बल ब्लॉक लाकर यहां तैयार किए जाते हैं। चित्तौड़गढ़ में ऐसी करीब चार सौ इकाइयां हैं। यहाँ से तैयार माल पूरे जिले के साथ-साथ कई अन्य जिलों में भी सप्लाई होता है। इससे मंदिर, संगमरमर की जाली, घरों में फर्श समेत कई उत्पाद बनते हैं। इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
चित्तौड़ किला विश्व धरोहर है, लाखों लोग देखने आते हैं
चित्तौड़गढ़ का किला विश्व धरोहर में शामिल है। यह किला 700 एकड़ में फैला है। यह सात किलोमीटर लंबा और 2.8 किलोमीटर चौड़ा है। इसे देखने के लिए पूरे भारत से देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। पर्यटन विभाग के अनुसार, 2024 में 8,92,096 लाख देशी-विदेशी पर्यटक किला देखने पहुँचे थे। इस साल अब यह आंकड़ा 4 लाख के करीब पहुँच गया है। जयपुर के पर्यटक विजय कुमार का कहना है कि अगर किले तक पहुँचने का रास्ता सुगम और सुविधाजनक हो, तो पर्यटकों की संख्या के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
कबड्डी की जगह कई खेलों में रुचि बढ़ी
पहले जिले में कबड्डी मुख्य खेल हुआ करता था, लेकिन समय के साथ हुए बदलावों के कारण युवाओं की खेलों में रुचि बदल गई है। यहाँ के कई फुटबॉल खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। हालाँकि, शहर के बीचों-बीच बने गोरा बादल स्टेडियम की खस्ता हालत को देखते हुए फुटबॉल खिलाड़ी निराश हैं। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं का क्रिकेट के प्रति रुझान भी बढ़ा है।दुनिया में 17 लाख से कम आबादी वाले देश: विशेषज्ञों के अनुसार, कंबोडिया, ज़िम्बाब्वे, दक्षिण सूडान, रवांडा, वेटिकन सिटी, मोनाको, नाउरू, पलाऊ, सैन मैरिनो, लिकटेंस्टीन, मार्शल द्वीप समूह, सेंट किट्स, नेविस, डोमिनिका, सेंट विंसेंट, ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ, बारबुडा, सेशेल्स और सेंट लूसिया सहित 32 देश हैं।
तथ्य फ़ाइल
2011 में ज़िले की जनसंख्या 15,44,338 लाख
2021 में ज़िले की जनसंख्या 17,92,973 लाख
जनसंख्या वृद्धि 16.1 प्रतिशत मानी गई है
राजस्थान की जनसंख्या पर एक नज़र
राज्य में 2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान की जनसंख्या 6.89 करोड़ थी, जो भारत की कुल जनसंख्या का 5.66 प्रतिशत थी। जनसंख्या की दृष्टि से यह भारत में सातवें स्थान पर था। हाल के अनुमानों के अनुसार, 2025 तक राजस्थान की जनसंख्या में और वृद्धि होगी, जो लगभग 7.5 करोड़ हो सकती है।
जिला कलेक्टर आलोक रंजन का कहना है
किले पर रोपवे का कार्य निविदा प्रक्रिया में है। पुरातत्व विभाग से पत्राचार करके किले पर पर्यटकों के लिए शौचालय और सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू करने की योजना है। इसके अलावा, सीताफल के गूदे से आइसक्रीम बनाने का कार्य शुरू हो गया है। संगमरमर-ग्रेनाइट से एक स्टोन पार्क बनाया जाएगा। इसके लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। कबड्डी को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया गया है ताकि यहां की प्रतिभाओं को निखारा जा सके।
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