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उदयपुर में ऐतिहासिक रथयात्रा! भगवान जगन्नाथ के स्वागत में दी गई 21 बंदूकों की सलामी, 80 किलो के चांदी के रथ पर निकली शोभा यात्रा

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राजस्थान के उदयपुर में 400 साल पुराने जगदीश मंदिर से शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई। इस मौके पर भगवान जगन्नाथ के जयकारे गूंजे। रथ यात्रा से पहले 21 तोपों की सलामी दी गई। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने भी परंपरा का निर्वहन किया।उदयपुर के जगदीश मंदिर से शुरू हुई रथ यात्रा से पहले भगवान को छोटे रथ में विराजमान कर मंदिर के अंदर परिक्रमा कराई गई। इस दौरान मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनकी पत्नी सांसद महिमा कुमारी भी मौजूद रहीं। रथ यात्रा की शुरुआत में सबसे पहले दानीराय भगवान को लेकर आए। माता महालक्ष्मी को मंदिर में लाया गया। इसके बाद विशेष परंपरा के साथ भगवान जगन्नाथ को जगदीश मंदिर से बाहर लाया गया। इसके बाद उन्हें रथ में विराजमान किया गया।

80 किलो चांदी से बने रथ में विराजमान हुए भगवान

रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ 80 किलो चांदी से बने रथ में विराजमान हुए। इस शाही रथ की लंबाई 16 फीट, चौड़ाई 8 फीट और ऊंचाई 21 फीट है। भगवान को 21 तोपों की सलामी देने के बाद मेवाड़ राजपरिवार के पूर्व सदस्य एवं विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने रथ खींचा। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भी दर्शन किए। रथयात्रा में 21 आकर्षक झांकियां शामिल की गई हैं। इससे पहले जगदीश मंदिर में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। मंदिर परिसर में जुटे श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के साथ भगवान की पूजा-अर्चना की।

नंगे पैर खींचा गया रथ

पारंपरिक वेशभूषा में श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ के जयकारों के बीच नंगे पैर रथ खींचा। पुरुषों ने मेवाड़ी पगड़ी और धोती पहन रखी थी और महिलाओं ने केसरिया साड़ी पहन रखी थी। रथयात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। रथयात्रा जगदीश चौक से शुरू होकर घंटाघर, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, अस्थल मंदिर, मंडी चौराहा, संतोषी माता मंदिर, कालाजी गोराजी चौराहा, भट्टाणी चौराहा होते हुए पुन: जगदीश चौक पहुंची। किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। यात्रा मार्ग पर रंग, गुलाल और आतिशबाजी पर प्रतिबंध था।

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