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स्वास्थ्य व्यवस्था में हेराफेरी का खुलासा! 700 पन्नों की जांच रिपोर्ट में खुली पोल, 12 सरकारी डॉक्टरों पर गिरी गाज

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राजस्थान सरकारी स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) में फर्जी इलाज करने और कई गुना पैसे लेने के मामले की जांच कर रही टीम ने गुरुवार को जिला कलेक्टर को रिपोर्ट सौंप दी। करीब 600 से 700 पन्नों की रिपोर्ट में 12 से ज्यादा सरकारी डॉक्टरों को दोषी पाया गया है। इस मामले में सीएमएचओ डॉ. गौरव कपूर ने दो डॉक्टरों सहित कशिश फार्मेसी के संचालक के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था। मामले की जांच उच्चैन उपखंड अधिकारी भारती गुप्ता की अध्यक्षता में की गई।

एपेक्स डेंटल क्लीनिक में किया फर्जी इलाज

मार्च माह में वित्त व्यय सचिव के निर्देशन में हीरादास स्थित एपेक्स डेंटल क्लीनिक की जांच शुरू की गई थी। इसके संचालक डॉ. मनीष गोयल थे। जांच में सामने आया कि कशिश फार्मेसी की मिलीभगत से यह बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया। कशिश फार्मेसी के लेन-देन की जांच की गई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। आरजीएचएस योजना के तहत एपेक्स डेंटल क्लीनिक में फर्जी इलाज किया गया।

करीब 500 कर्मचारियों के कार्ड ब्लॉक किए गए

आरोप है कि एपेक्स क्लीनिक के संचालक डॉ. मनीष गोयल ने कर्मचारियों से एसएसओ आईडी और पासवर्ड ले लिया था। इसके बाद इलाज की राशि से कई गुना अधिक बिल बनाए गए। जांच के दौरान करीब 500 कर्मचारियों के कार्ड भी ब्लॉक किए गए।

राजकोष को पहुंचाया भारी नुकसान

एफआईआर में शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (जनता क्लीनिक) पक्काबाग के प्रभारी डॉ. विकास फौजदार, एपेक्स डेंटल के संचालक डॉ. मनीष गोयल और कशिश फार्मेसी के संचालक डॉ. राकेश कुमार के नाम शामिल हैं। इस मामले में डॉ. मनीष को जेल भेजा जा चुका है, जबकि दो डॉक्टरों डॉ. विकास और डॉ. राकेश के खिलाफ पुलिस जांच कर रही है। एफआईआर में यह भी कहा गया कि तीनों ने मिलीभगत कर आरजीएचएस योजना में फर्जी तरीके से लोगों का इलाज कर बिल बनाए और राजकोष को नुकसान पहुंचाया।

जांच में टीम ने इसे गबन का मामला माना

जांच में टीम ने इसे गबन का मामला माना। इसमें फर्जी तरीके से लोगों के दांतों का इलाज कर पैसे जुटाए गए। इसमें मूल राशि से चार गुना अधिक राशि वसूली गई। सूत्रों का कहना है कि पांच से छह नए मेडिकल स्टोर भी जांच के दायरे में हैं। जांच में सरकारी डॉक्टरों के साथ कुछ निजी अस्पताल भी दोषी पाए गए हैं। कर्मचारियों ने अपने बयानों में दावा किया है कि फर्जी लेनदेन हुआ है।

ये है सूत्रों का कहना है

करीब 600 से 700 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी डॉक्टरों ने मरीज को देखे बिना ही दवाओं के पर्चे बना दिए। इसके बाद कशिश फार्मेसी ने दवाएं देकर फर्जी भुगतान ले लिया। जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी गई है। इसमें कुछ सरकारी डॉक्टरों द्वारा मरीज को देखे बिना ही दवाएं लिखने का मामला सामने आया है।

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