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विधायक कंवरलाल पर मदन राठौड़ का बड़ा बयान, देखे विडियो

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जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कंवरलाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद उनकी विधायकी पर खतरा मंडराने लगा है। सूत्रों के मुताबिक, कानूनी बाध्यताओं और संविधानिक प्रावधानों को देखते हुए अब उनका विधानसभा सदस्य बने रहना लगभग असंभव माना जा रहा है। इससे न केवल पार्टी में हलचल मच गई है, बल्कि विपक्ष ने भी इसे लेकर सरकार और भाजपा नेतृत्व को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है।

विधायक कंवरलाल के खिलाफ आपराधिक मामले में दोष सिद्ध होने के बाद उन्होंने शीर्ष अदालत में फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी। न्यायालय के इस फैसले के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के तहत उनकी विधायकी स्वत: समाप्त हो सकती है। यह अधिनियम साफ तौर पर कहता है कि किसी जनप्रतिनिधि को यदि दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाती है।

इस मामले में जब पत्रकारों ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से पार्टी की ओर से संभावित कार्रवाई को लेकर सवाल किया तो उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी करते हुए कहा, "एक अपराध के लिए दो सजा नहीं हो सकती। अदालत ने अपना काम किया है, अब पार्टी अपने स्तर पर समीक्षा कर रही है।"

मदन राठौड़ का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ जानकारों का मानना है कि भाजपा फिलहाल इस मुद्दे को संभलकर चलाना चाहती है ताकि पार्टी की छवि को नुकसान न पहुंचे, वहीं कुछ का कहना है कि पार्टी जल्द ही कंवरलाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।

विपक्षी दलों ने भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा नेताओं के लिए पार्टी अलग नियम और विपक्ष के लिए अलग मानदंड अपनाती है। उन्होंने कहा, "अगर किसी कांग्रेस विधायक पर इस तरह का मामला होता तो भाजपा अब तक धरना दे चुकी होती।"

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस मामले को ‘लॉ एंड ऑर्डर’ की कसौटी पर देख रही है, लेकिन इससे पार्टी की नैतिक साख पर सवाल उठते हैं। यदि कंवरलाल की विधायकी समाप्त होती है तो संबंधित सीट पर उपचुनाव कराना होगा, जिससे पार्टी को राजनीतिक और रणनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अब देखना यह होगा कि भाजपा नेतृत्व इस मामले में आगे क्या रुख अपनाता है। क्या कंवरलाल खुद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देंगे, या फिर पार्टी उन्हें बचाने की कोशिश करेगी?

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